रामरतन सिह पवांर/जखोली
पालाकुराली नरसिंग देवता मन्दिर मे शूरु होगा पाँच दिवसीय हवन,यज्ञ का भव्य आयोजन।
उतराखंड मे नाथपंती की पूजा होती है।जिसमे यह नौ नारसिंग भी है,बताया जाता है कि भगवान शिव ने इनकी उत्पति की थी और इनकी उत्पति कोई त्रिफला कहता है तो कोई केसर का पेड़।
इनमे से नौ नाथ नरसिंग की उत्पति हुई थी। बताया जाता है भगवान शिव ने केसर के पेड़ बोये थे और दूध से केसर पेड़ की सिंचाई की थी। उस केसर के पेड़ पर 9 फल लगे और अलग अलग खण्डो मे गिरे और तब जाके नौ भाई नरसिंग पैदा हुए। जिस कारण से आज भी लोग नरसिंग भगवान पर आस्था रखते हुए पूज-पाठ तथा महायज्ञ का आयोजन किया जाता है।
ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत पालाकुराली मे 14 फरवरी से नरसिंग देवता मन्दिर मे 5 दिवसीय हवन महायज्ञ का आयोजन शूरु किया जायेगा।
पालाकुराली मे नरसिंग मन्दिर मे आदिकाल से बलि प्रथा का प्रचलन था,जिसको रोकने के लिए ग्राम वासियों ने एक स्वर मे बलि प्रथा का बिरोध करते हुए यज्ञ अनुष्ठान का बार्षिक आयोजन करने का निर्णय लिया।
जिस कारण से तब से लेकर और अब तक मन्दिर मे हर साल महायज्ञ का आयोजन किया जाता है।वही पालाकुराली के सामाजिक कार्यकर्ता डाक्टर गुलाब सिंह राणा बताते है कि जब से बलि प्रथा जैसे अन्धविश्वास को बंद किया गया तब से मन्दिर मे होने वाले हवन, यज्ञ के दौरान भगवान नरसिंग देबता के मन्दिर मे होने वाले धार्मिक कार्य मे शामिल होने आने वाली धियाणी,व भगतगण तरह-तरह के चढावा व नगदी भेंट देवता को चढाकर अपनी मनत माँगते है।डाक्टर राणा ने कहा कि इस पावन पर्व पर 17 फरवरी को भव्य कलश यात्रा आयोजन किया जायेगा और 18 फरवरी को पूर्णाहुति के साथ इस यज्ञ का समापन होगा।