रूप सिंह रावत/सतपुली
गुलदार का आतंक, महिला को बनाया निवाला; ग्रामीणों में दहशत।
कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल। पौड़ी जिले के पोखड़ा विकासखंड के बगड़ीगाड गांव में गुरुवार दोपहर करीब ढाई बजे गुलदार के हमले में एक 65 वर्षीय महिला, रानी देवी (पत्नी रमेश बंदूणी) की मौत हो गई। महिला घर के पास ही चारापत्ती काट रही थी, तभी घात लगाए गुलदार ने उस पर हमला कर दिया। दिनदहाड़े हुई इस दर्दनाक घटना से पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है।
सूचना मिलते ही ग्रामीणों ने खोजबीन शुरू की और महिला का शव घर से करीब 500 मीटर की दूरी पर बरामद किया। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने वन विभाग की लापरवाही पर रोष व्यक्त करते हुए गुलदार को जल्द से जल्द नरभक्षी घोषित कर उसे कैद करने या मारने की मांग की है।
पहाड़ में गहराता 'मानव-वन्यजीव संघर्ष': महिलाएँ निशाने पर, खेती-पशुपालन पर संकट!
यह घटना उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष के बढ़ते खतरे को दर्शाती है, जहाँ महिलाएं इन हमलों का सबसे बड़ा शिकार बन रही हैं। वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, वन्यजीवों के हमलों में मरने वालों में लगभग 75% महिलाएँ होती हैं। इसकी मुख्य वजह उनका जंगल से चारा-लकड़ी लाना और खेतों में काम करना है।
महिलाओं पर लगातार हो रहे इन जानलेवा हमलों के कारण पहाड़ के प्रति विरक्ति का भाव पनप रहा है। ग्रामीण, खासकर महिलाएँ, अब जंगल और खेतों में जाने से डरने लगी हैं। यह डर सीधे तौर पर पारंपरिक पशुपालन और खेती को प्रभावित कर रहा है, जिससे पहाड़ की अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर गहरा संकट मंडरा रहा है। लोग अपनी आजीविका चलाने वाले कामों से दूर हो रहे हैं, जो पलायन को और बढ़ा सकता है।
समस्या का समाधान और सरकारी कदम: सुरक्षा घेरा बनाना अनिवार्य
वन्यजीवों के हमलों से बचाव और इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए सरकार और वन विभाग को तत्काल युद्ध स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है।
तत्काल कदम:
नरभक्षी गुलदारों की पहचान कर उन्हें तुरंत ट्रैंक्विलाइज़ (बेहोश) कर पकड़ने या आवश्यकतानुसार नष्ट करने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।
ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में पिंजरे लगाकर वन्यजीवों को पकड़ने और वन्यजीव गश्ती दल की तैनाती बढ़ाई जाए।
वन विभाग और प्रशासन, हमले में जान गंवाने वाले परिवारों को पर्याप्त और समय पर मुआवजा देना सुनिश्चित करें।
दीर्घकालिक समाधान:
सुरक्षित चारा और ईंधन की व्यवस्था: ग्रामीणों को जंगल पर निर्भरता कम करने के लिए गांव के पास ही चारा बैंक बनाने और एलपीजी गैस कनेक्शन (या अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत) को बढ़ावा देने की योजनाएँ चलाई जानी चाहिए।
वन्यजीव प्रूफ बाड़: खेतों और आबादी वाले क्षेत्रों के आसपास सौर ऊर्जा संचालित बाड़ (Solar Fencing) लगाने के लिए सरकारी सब्सिडी प्रदान की जाए।
जागरूकता और समूह में कार्य: महिलाओं को अकेले जंगल या खेत में न जाने के लिए जागरूक किया जाए और समूह में कार्य करने की आदत को प्रोत्साहित किया जाए।
आवास और गलियारा प्रबंधन: वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों और उनके गलियारों (Corridors) को अतिक्रमण मुक्त कर संरक्षित किया जाए, ताकि वे मानव बस्तियों की ओर कम आएं।
सरकार को इस चुनौती को केवल वन विभाग का मुद्दा न मानकर, इसे ग्रामीण विकास और आजीविका से जोड़कर देखना होगा, तभी पहाड़ को सुरक्षित बनाया जा सकता है।


