मानव-वन्यजीव संघर्ष' पर कैसे लगेगी लगाम

मानव वन्यजीव संघर्ष को कम कैसे किया जा सकता है,
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 'मानव-वन्यजीव संघर्ष' पर लगाम लगाने के लिए वन विभाग का विशेष अभियान। 

आमजन में जंगली जानवरों के ख़ौफ़ को कम करने का प्रयास।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में, विशेषकर जखोली विकासखंड में, मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ता संघर्ष चिंता का विषय बन गया है। इस वर्ष गुलदार के अलावा, मयाली बाज़ार और चन्दी गाँव में भालू की बढ़ती गतिविधियों ने स्थानीय लोगों में दहशत बढ़ा दी है।

इस गंभीर समस्या को नियंत्रित करने और आम जनता को जागरूक करने के उद्देश्य से, वन विभाग की दक्षिणी जखोली रेंज ने एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है।

 जन जागरूकता अभियान और बचाव के तरीके

दक्षिणी जखोली के वन क्षेत्राधिकारी हरीश थपलियाल के नेतृत्व में, विभाग द्वारा देवल, मयाली, और सांकला जैसे भालू और गुलदार संवेदनशील क्षेत्रों में जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस प्रयास के तहत, क्षेत्र में वाहनों के माध्यम से ऑडियो संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं ताकि आमजन को हिंसक जानवरों से बचाव के तरीकों की जानकारी मिल सके।

वन विभाग ने गुलदार और भालू के संभावित हमलों से स्वयं की सुरक्षा के लिए आम जनता से निम्नलिखित अपील की है:

  • समूह में यात्रा करें: जंगली जानवरों की मौजूदगी वाले क्षेत्रों में हमेशा समूह में ही जाएँ।

  • अकेले बाहर न निकलें: शाम/सुबह (विशेषकर अंधेरा होने के बाद) के समय अकेले घर से बाहर निकलने से बचें।

  • बच्चों की सुरक्षा: बच्चों को घरों के आस-पास ही रखें और उन्हें अकेला न छोड़ें

  • शोर करते रहें: खेतों में काम करते समय और घास काटते समय ज़ोर से बात करते रहें या गाने गाएँ ताकि जानवरों को आपकी मौजूदगी का पता चल सके।

  • दूरी बनाए रखें: यदि कोई वन्यजीव दिखाई दे, तो उससे दूरी बनाए रखें और तुरंत वन विभाग को सूचित करें

  • उत्तेजित न करें: वन्यजीवों को किसी भी तरह से उत्तेजित न करें और न ही उन्हें डराकर भगाने की कोशिश करें।

यह जागरूकता अभियान लोगों को सतर्क रहने और संघर्ष को कम करने के उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है।


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