पेयजल निगम में ₹2660 करोड़ की वित्तीय अनियमितताओं का मामला गरमाया

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CAG रिपोर्ट पर RTI कार्यकर्ता का दावा, सरकार से मांगा गया जवाब।

पेयजल निगम में ₹2660 करोड़ की वित्तीय अनियमितताओं का मामला गरमाया; सीएम को शिकायत, रिपोर्ट दबाने का आरोप।

देहरादून: उत्तराखंड पेयजल निगम में ₹2,660.27 करोड़ की कथित वित्तीय अनियमितताओं का मामला राजनीतिक और सार्वजनिक बहस का केंद्र बन गया है। आरटीआई कार्यकर्ता और अधिवक्ता विकेश नेगी ने मुख्यमंत्री को इस संबंध में शिकायत और दस्तावेज़ भेजकर मामले की उच्च-स्तरीय जांच (SIT/CBI) की मांग की है। यह पूरा आरोप भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक ऑडिट रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे सार्वजनिक करने में देरी होने की बात सामने आई है।

 रिपोर्ट को सालों तक दबाए रखने का आरोप

अधिवक्ता नेगी ने आरोप लगाया है कि पेयजल निगम से जुड़ी यह अहम CAG रिपोर्ट वर्षों तक सार्वजनिक नहीं की गई और इसे विधानसभा में भी प्रस्तुत नहीं किया गया। उनका दावा है कि इस महत्वपूर्ण दस्तावेज को जानबूझकर छिपाया गया, ताकि 2016 से मई 2025 के बीच हुई ये बड़ी वित्तीय गड़बड़ियां उजागर न हो सकें। रिपोर्ट में विशेष रूप से वित्तीय वर्ष 2020-21 (कोरोनाकाल) में ₹829.90 करोड़ और 2023-24 में ₹803 करोड़ की संदिग्ध अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है, जो इस अवधि के दौरान वित्तीय नियंत्रण पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

 शिकायत में शामिल गंभीर आरोप

मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत में कई गंभीर बिंदुओं को उठाया गया है:

  • भुगतान में धांधली: ठेकेदारों को बिना बैंक गारंटी और जीएसटी जमा न करने के बावजूद करोड़ों रुपये जारी किए गए।

  • अधूरे कार्य पर भुगतान: कई ठेकेदारों को अधूरे कामों के लिए भी पूरे बिल पास किए गए।

  • मिलीभगत का संकेत: रिपोर्ट में स्पष्ट संकेत है कि यह अनियमितताएं केवल लापरवाही नहीं, बल्कि अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से राज्य को पहुंचाया गया योजनाबद्ध आर्थिक नुकसान है।

  • जवाबदेही का अभाव: निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर CAG द्वारा सख्त टिप्पणियां दर्ज किए जाने के बावजूद, किसी पर कोई जवाबदेही तय नहीं की गई।

 SIT या CBI जांच की मांग

नेगी का कहना है कि यह जनता के धन की चोरी का गंभीर मामला है। राज्य को व्यवस्थित तरीके से नुकसान पहुँचाया गया है, इसलिए इस पूरे मामले की सच्चाई सामने लाने और दोषियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए SIT (विशेष जांच दल) या CBI से उच्च स्तरीय, निष्पक्ष जांच कराना अपरिहार्य है। इस खुलासे के बाद अब राजनीतिक गलियारों में और जनता के बीच इस बड़े कथित घोटाले को लेकर चर्चा तेज हो गई है, और सरकार पर इस रिपोर्ट पर तत्काल कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है।


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