9 किलोमीटर सड़क के लिए 2 दिन से अनशन

बधाणी-छैनागाड़ मोटर मार्ग के लिए आमरण अनशन,
खबर शेयर करें:

 

9 किलोमीटर सड़क के लिए 2 दिन से अनशन।

क्या ‘रजत जयंती’ मनाता उत्तराखंड केवल आश्वासनों पर चलेगा?

रुद्रप्रयाग/देहरादून। एक ओर जहाँ उत्तराखंड राज्य अपनी स्थापना की रजत जयंती मनाने की तैयारी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश की जनता आज भी मूलभूत सुविधाओं, जैसे सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल के लिए संघर्ष करने को मजबूर है। इसका एक कड़वा उदाहरण रुद्रप्रयाग जिले की पूर्वी बांगर पट्टी में देखने को मिल रहा है, जहाँ के लोग 3 अक्टूबर से अपनी एकमात्र मांग, बधाणी-छैनागाड़ मोटर मार्ग के निर्माण को लेकर लोक निर्माण विभाग (PWD) में आमरण अनशन पर बैठे हैं।

जनता सड़कों पर, जनप्रतिनिधि सरकार के गुणगान में व्यस्त

राज्य गठन के 25 साल बाद भी यदि जनता को 9 किलोमीटर की सड़क के लिए भूख हड़ताल करनी पड़े, तो यह प्रदेश की शासन व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। बांगर पट्टी के निवासियों की मांग दशकों पुरानी है, लेकिन हर बार उन्हें केवल खोखले आश्वासन ही मिले।

स्थानीय निवासियों का दर्द यह है कि पूर्वी और पश्चिमी बांगर को जोड़ने वाली यह केवल 9 किलोमीटर की सड़क यदि बन जाती है, तो जखोली ब्लॉक तक पहुँचने के लिए उन्हें वर्तमान में तय किए जाने वाले 84 किलोमीटर के थकाऊ और दिनभर के सफर से मुक्ति मिल जाएगी। छोटे-छोटे सरकारी कार्यों के लिए जहाँ आज उनके दो से तीन दिन बर्बाद होते हैं, वहीं सड़क बनने पर वे एक ही दिन में अपने काम निपटा सकेंगे।

जनता का यह भी आरोप है कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि जनहित के मुद्दों से विमुख होकर, अपने व्यक्तिगत फायदों के लिए चाटुकारिता की हद तक जाकर, सरकार के खोखले वादों का गुणगान करने में व्यस्त हैं।

सड़कों के अभाव में टूटती जिंदगी: पहाड़ का दर्द अनसुना

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की भौगोलिक विकटता किसी से छिपी नहीं है। सड़कों के अभाव में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी बुनियादी ज़रूरतें यहाँ के लोगों के लिए जिद्दोजेहद बन चुकी हैं।

एक अनसुना दर्द: कई बार गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोग समय पर अस्पताल न पहुँच पाने के कारण अपनी जान गँवा देते हैं। प्रसव पीड़ा से कराहती महिलाओं की मौत की खबरें भी इस देवभूमि से आती रही हैं, क्योंकि यातायात की सुविधाएँ नदारद हैं। जनता के ये जमीनी मुद्दे आज राजनीति की खींचतान की भेंट चढ़ चुके हैं, जिससे नेताओं की तो पौ बारह हो रही है, लेकिन आम जनता त्रस्त है।

सरकार की प्राथमिकता पर सवाल: विकास या छवि चमकाना?

बधाणी-छैनागाड़ मोटरमार्ग न केवल दूरी कम करेगा, बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय रोजगार के अवसर भी खोलेगा। लेकिन अनशन पर बैठी जनता का कहना है कि मौजूदा सरकार का रवैया उदासीन है।

स्थानीय निवासियों में इस बात को लेकर भी आक्रोश है कि जहाँ मुख्यमंत्री अपनी छवि चमकाने के लिए टैक्सपेयर का करोड़ों-हज़ारों करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं, वहीं बांगर वासियों की इस छोटी मगर जीवनदायिनी समस्या के लिए उनके पास न तो पैसा है और न ही समय। यह विरोधाभास स्पष्ट करता है कि सरकार की प्राथमिकता में जनता के मूलभूत मुद्दे कितने पीछे हैं।

 बदलाव की ज़रूरत: क्या बांगर की जनता बदलेगी अपनी परिपाटी?

राजनीति की भेंट चढ़ती मांगों और विकास के अभाव के कारण उत्तराखंड के पहाड़ लगातार खाली होते जा रहे हैं। जब राजनैतिक पार्टियाँ जनहितों को छोड़कर स्वयं के हितों को प्राथमिकता देती हैं, तो यह पलायन की खाई को और गहरा कर देता है।

फिलहाल, 2 दिनों से अनशन पर बैठी पूर्वी बांगर पट्टी की जनता को केवल यही इंतज़ार है कि क्या 'रजत जयंती' के शोर में उनकी 9 किलोमीटर की मांग को कोई सुनेगा, या उन्हें भविष्य में भी केवल आश्वासनों से ही काम चलाना पड़ रहा है 

खबर पर प्रतिक्रिया दें 👇
खबर शेयर करें:
Next
This is the most recent post.
Previous
पुरानी पोस्ट

हमारे व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ें-

WhatsApp पर हमें खबरें भेजने व हमारी सभी खबरों को पढ़ने के लिए यहां लिंक पर क्लिक करें -

यहां क्लिक करें----->