तुंगनाथ यात्रा मार्ग पर अव्यवस्थाओं का आलम:श्रद्धालुओं को हो रही भारी परेशानी।
उत्तराखण्ड का मुख्य व्यवसाय पर्यटन और तीर्थाटन है इनमें सुविधाओं का अभाव होने से सवाल तो बनेंगे ही।
रुद्रप्रयाग स्थित तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की पैदल यात्रा का मार्ग, जो चोपता से शुरू होता है, इस समय भारी अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है। देश और विदेश से दर्शनों के लिए आ रहे श्रद्धालुओं को जगह-जगह फैले कूड़े और गंदगी के बीच से होकर गुजरना पड़ रहा है, जिससे प्रशासन के 'सुगम यात्रा' के दावे पूरी तरह से खोखले साबित हो रहे हैं।
इस मार्ग पर केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग की लापरवाही स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। प्रसिद्ध बुग्यालों में लगातार बढ़ती भीड़ और अनियंत्रित मानवीय गतिविधियों ने इन प्राकृतिक सुंदरता को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। मंदिर के कपाट खुलने के बाद से यात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन रास्ते में शौचालय, स्वच्छ पेयजल और बैठने के लिए प्रतिक्षालय जैसी मूलभूत सुविधाएं लगभग नदारद हैं।
शौचालयों की गंभीर कमी के चलते कई श्रद्धालु खुले में शौच करने को मजबूर हो रहे हैं, जिसके कारण पूरा यात्रा मार्ग दूषित हो रहा है और गंदगी फैल रही है। इसके साथ ही, पेयजल आपूर्ति ठप है और यात्रियों के आराम के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इससे न केवल यात्री बल्कि स्थानीय व्यापारी और घोड़ा-खच्चर संचालक भी परेशान हैं।
सुरक्षा की दृष्टि से भी मार्ग पर खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि यात्रा के कई संवेदनशील हिस्सों में बनी रेलिंग टूटी हुई है, जिससे यात्रियों के फिसलकर गिरने का भय बना रहता है।
पवित्र यात्रा पर संकट और प्रशासन से मांग
स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि यही हालात बने रहे, तो तुंगनाथ की यह पवित्र यात्रा भविष्य में श्रद्धालुओं के लिए कठिनाई और मुश्किलों का दूसरा नाम बन जाएगी। उत्तराखंड का मुख्य व्यवसाय पर्यटन और तीर्थाटन है। यदि व्यवस्थाएं दुरस्त होंगी, तो यात्री निश्चित रूप से अपने साथ अच्छी और सुखद यादें लेकर जाएंगे, जिससे प्रदेश की छवि सुधरेगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, स्थानीय लोगों ने प्रशासन से जल्द से जल्द मार्ग की व्यवस्थाएं सुधारने और यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की पुरजोर मांग की है।


