जयमाला हुई, भांवरें पड़ीं... फिर दूल्हे के साथ जाने से दुल्हन का इनकार, थाने में फूट-फूटकर रोया दूल्हा।
दिव्यांगता के चलते चारपाई पर न बैठ पाना। यह मामला थाने तक पहुंचा, जहां दूल्हा घंटों रोता रहा।
फर्रुखाबाद/नवाबगंज: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में एक अनोखा और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। धूमधाम से बारात चढ़ी, जयमाला भी हुई और शादी की सभी रस्में (भांवरें) भी पूरी हुईं, लेकिन विदाई के ठीक पहले दुल्हन ने दूल्हे के साथ जाने से साफ इनकार कर दिया। कारण बना दूल्हे का दिव्यांगता के चलते चारपाई पर न बैठ पाना। यह मामला थाने तक पहुंचा, जहां दूल्हा घंटों रोता रहा, लेकिन दुल्हन अपने फैसले पर अडिग रही। आखिरकार दूल्हा बिना दुल्हन के ही बैरंग लौट गया।
चारपाई पर न बैठना बना विवाद का कारण
मामला नवाबगंज थाना क्षेत्र का है। यहां के एक मोहल्ले में जनपद एटा कोतवाली अलीगंज के एक गांव से शुक्रवार को बारात आई थी। द्वारचार और वरमाला की रस्में खुशी-खुशी संपन्न हुईं। शनिवार तड़के विवाह की भांवरें भी पड़ गईं।
लेकिन, कलेवा (विदाई से पहले का नाश्ता/रस्म) के दौरान अचानक माहौल बिगड़ गया। दूल्हा दिव्यांग होने के कारण चारपाई के बजाय कुर्सी पर बैठ गया।
दुल्हन की मामी ने दूल्हे पर चारपाई पर बैठने का जोर डाला।
दूल्हे के पिता ने बताया कि कूल्हे में चोट लगने के कारण उनका बेटा चारपाई पर नहीं बैठ सकता है।
इसी बात को लेकर दुल्हन पक्ष और दूल्हा पक्ष के बीच तनातनी शुरू हो गई।
थाने में दूल्हा रोया, दुल्हन नहीं मानी
बात इतनी बढ़ी कि कन्या पक्ष गेस्ट हाउस से सारा सामान लेकर घर चला गया और दुल्हन ने दूल्हे के साथ जाने से स्पष्ट मना कर दिया।
मायूस दोनों पक्ष थाने पहुंचे। थाने में काफी देर तक मान-मनौव्वल का दौर चला। इस दौरान दूल्हा फूट-फूटकर रोता रहा और दुल्हन को साथ चलने के लिए मनाता रहा।
"दुल्हन किसी भी हाल में साथ जाने को तैयार नहीं हुई। इस दौरान दूल्हा रोता रहा।"
आखिरकार, दोनों पक्षों में समझौता हुआ। कन्या पक्ष ने वर पक्ष को दिए गए जेवर और उपहार वापस कर दिए।
बिना दुल्हन के बैरंग लौटी बारात
समझौते के बाद, दूल्हा पक्ष बिना दुल्हन के ही मायूसी के साथ अपने घर लौट गया।
थानाध्यक्ष अवध नारायण पांडेय ने इस मामले की पुष्टि करते हुए बताया, "दोनों पक्षों में समझौता हो गया है, इसलिए इस संबंध में कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।"
यह घटना दर्शाती है कि समाज में दिव्यांगता को लेकर अभी भी कई रूढ़िवादी धारणाएं और संवेदनहीनता मौजूद है, जिसने एक सजे-सजाए रिश्ते को टूटने के कगार पर ला दिया।


