रुद्रप्रयाग: PWD की अनदेखी, मोटरमार्गों पर झाड़ियाँ और खाइयाँ दे रहीं मौत को दावत।
सड़कों का जानलेवा मंजर: अंधे मोड़ों पर झाड़ियाँ और किनारों पर गहरी खाइयाँ बढ़ा रहीं दुर्घटना का जोखिम।
ठेकेदारों के हवाले रखरखाव: नियमित बेलदारों की भर्ती ठप होने से सड़कों की बदहाली, गुणवत्ता पर उठे सवाल।
जंगली जानवरों का बढ़ा खतरा: झाड़ियाँ बनी गुलदार का ठिकाना, पैदल चलने वाले स्कूली बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे।
जनपद रुद्रप्रयाग में लोक निर्माण विभाग (PWD) की घोर लापरवाही आम लोगों के जीवन पर भारी पड़ सकती है। चिरबिटिया-मयाली-तिलवाड़ा मोटरमार्ग समेत अन्य ग्रामीण सड़कों की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। सड़कों के दोनों ओर उग आईं घनी झाड़ियों और कटाव से बनी गहरी खाइयों के कारण यहाँ हर पल एक बड़ी दुर्घटना का खतरा मंडरा रहा है, लेकिन जिम्मेदार विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।
खतरनाक मोड़ और जानलेवा खाइयाँ
सड़कों का हाल यह है कि तीखे मोड़ों पर झाड़ियों के कारण सामने से आ रहा वाहन दिखाई नहीं देता, जिससे सीधी टक्कर की प्रबल आशंका बनी रहती है। स्थिति तब और भयावह हो जाती है जब किसी वाहन को पास देने की नौबत आती है। सड़क के किनारे मिट्टी के कटाव से इतनी गहरी खाइयाँ बन चुकी हैं कि दोपहिया वाहन चालक चाहकर भी अपना वाहन सड़क से नीचे नहीं उतार सकते। वहीं, बड़े वाहन यदि कच्चे में उतरते हैं, तो गहरे गड्ढों के कारण उनके क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह स्थिति विभाग की कार्यप्रणाली पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।
ठेकेदारी प्रथा ने बिगाड़ी सड़कों की सूरत
सूत्रों के अनुसार, इस समस्या की जड़ विभाग में नियमित कर्मचारियों की कमी है। वर्षों से नियमित बेलदारों के सेवानिवृत्त होने के बाद कोई नई भर्ती नहीं की गई है। इसके परिणामस्वरूप, सड़कों के रखरखाव का पूरा दारोमदार ठेकेदारों पर आ गया है। जहाँ पहले नियमित कर्मचारी सड़कों के गड्ढों को समय पर भरते थे, नालियों की सफाई करते थे और झाड़ियों का लगातार कटान करते थे, वहीं अब यह काम केवल सीजन पर या किसी विशेष अभियान के तहत होता है। ठेकेदारों द्वारा किए जाने वाले कार्यों की गुणवत्ता भी अक्सर सवालों के घेरे में रहती है।
लोगों का तर्क है कि 4-5 बेलदारों की एक टीम का साल भर का वेतन भी शायद उस राशि से कम होगा जो विभाग वर्तमान में गड्ढे भरने, झाड़ी कटान और अन्य छोटे-मोटे कामों के लिए ठेकेदारों पर खर्च कर रहा है।
गुलदार का बढ़ता आतंक और बच्चों की सुरक्षा
रुद्रप्रयाग जिला पहले से ही गुलदार की घटनाओं के लिए संवेदनशील रहा है। सड़कों के किनारे उगी ये घनी झाड़ियाँ अब जंगली जानवरों, विशेषकर गुलदार के लिए छिपने का एक सुरक्षित ठिकाना बन गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश बच्चे पैदल ही स्कूल जाते हैं, ऐसे में इन झाड़ियों के पास से गुजरना उनकी जान को जोखिम में डालने जैसा है। क्या विभाग के उच्चाधिकारी किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं?
यह एक गंभीर सवाल है कि यदि सड़क रखरखाव जैसे नियमित कार्य भी ठेकेदारों से ही करवाने हैं, तो विभाग में बैठे स्थायी स्टाफ की क्या आवश्यकता है? सरकार को इस व्यवस्था पर पुनर्विचार कर तत्काल सड़कों को दुरुस्त करवाना चाहिए, ताकि किसी भी निर्दोष को अपनी जान से हाथ न धोना पड़े।