हिमालय की आवाज़-
अजमेर शरीफ दरगाह विवाद: CCTV निगरानी, वित्तीय अनियमितता और कर्मचारियों के साथ 'अन्याय' पर हाई कोर्ट सख्त; CAG, नाजिम से माँगा जवाब।
अदालत ने 30 अक्टूबर तक माँगा पक्ष, दरगाह के गर्भगृह में कैमरे लगाने की केंद्र की योजना पर भी नोटिस जारी
दिल्ली हाई कोर्ट ने अजमेर शरीफ दरगाह से जुड़े एक गंभीर मामले में सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने दरगाह कमेटी के नाजिम (प्रशासक) और असिस्टेंट नाजिम (सहायक प्रशासक) के साथ-साथ नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) से भी स्पष्टीकरण माँगा है। सभी संबंधित पक्षों को आगामी 30 अक्टूबर 2025 तक अपना जवाब अदालत में दाखिल करना होगा।
यह कार्रवाई दरगाह के खादिम सैयद मेहराज चिश्ती द्वारा दायर एक याचिका पर की गई है। चिश्ती ने अपनी याचिका में कई गंभीर मुद्दे उठाए हैं।
सुरक्षा और वित्तीय मामलों पर सवाल:
याचिकाकर्ता ने दरगाह की सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर खामियाँ बताते हुए CCTV कैमरों की निगरानी में लापरवाही पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि यह चूक दरगाह की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। इसके अलावा, याचिका में CAG की रिपोर्ट में उजागर हुई वित्तीय अनियमितताओं पर भी अब तक कोई कार्रवाई न होने का आरोप लगाया गया है। एक अन्य अहम आरोप यह है कि दरगाह कमेटी की नई कार्यकारिणी का गठन पिछले तीन वर्षों से नहीं किया गया है।
कर्मचारी कल्याण और सोशल मीडिया विवाद:
खादिम सैयद मेहराज चिश्ती ने दरगाह कर्मचारियों के साथ हो रहे लगातार अन्यायपूर्ण व्यवहार का भी गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि इस अन्यायपूर्ण रवैये के कारण कुछ कर्मचारियों को आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। साथ ही, दरगाह के विरुद्ध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक सामग्री (पोस्ट) डालने वाले लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई न होने पर भी सवाल उठाए गए हैं।
गर्भगृह में CCTV लगाने की योजना:
हाई कोर्ट ने दरगाह के मुख्य गर्भगृह (मजार शरीफ) में CCTV कैमरे लगाने की केंद्र सरकार की योजना पर भी नोटिस जारी किया है। केंद्र सरकार सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस कदम का बचाव कर रही है।