आखिर बधाणीताल से पूर्वी बांगर को जोड़ने वाला मोटरमार्ग कब बनेगा।
वैकल्पिक मार्ग यदि बना होता तो आवश्यक सामग्री पहुँचाने के लिए यह मार्ग वरदान साबित होता।
रुद्रप्रयाग- उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग में विगत 27-28 अगस्त की देर रात हुई भारी बारिश के चलते सबसे ज्यादा नुकसान पूर्वी बांगर क्षेत्र के छैनागाड़ बाजार को हुआ अस्तित्व ही इस बरसात के कारण मिट गया। यह छोटा सा बाजार 06 गावों का प्रवेश द्वार था। जिसमें उच्छोला, माथगावं, बक्सीर, डांगी, भुनालगावं व खोड़ ग्राम सभाओं व उनकी अन्य तोक जैसे भेडारु व भौंर आदि के लिए यही से रास्ता जाता है इस क्षेत्र में अन्य कोई रास्ता ऐसे नहीं है जिससे यहां पहुंचा जा सकता है।
पश्चमी बांगर के बधानीताल से इस क्षेत्र को सड़क मार्ग से जोड़ने की कई बार मांग उठी जिसपर की वर्षों से कोई भी प्रक्रिया समाधान तक नहीं पहुंची जबकि पूर्वी बांगर का विकासखण्ड जखोली है जो पूर्वी बांगर क्षेत्र से सड़क मार्ग से जुड़ने पर लगभग 28 से 30 किलोमीटर के सड़कमार्ग से जुड़ जाता। जबकि वर्तमान समय में यह दूरी 74 किलोमीटर है जो कि पहाड़ी क्षेत्र के अत्यधिक समय लगने वाला मार्ग है।
दिनाँक 27 जून की रात हुई भारी बरसात के चलते छेनागाड़ पुरी तरह से नष्ट हो गया जिसमें 9 लोगों के लापता होने की खबर है। यदि पश्चमी बांगर से यह क्षेत्र जुड़ा होता तो कम से कम राशन या जरूरी सामग्री को आसानी से यहां पहुंचाया जा सकता था। दूरदर्शिता महत्वाकांक्षा बन जाये तो क्षेत्र का विकास कितना होगा यह इस क्षेत्र में आकर देखने लायक है जहां आजादी के अमृत महोत्सव मनाने वाले देश मे अलग थलग पड़े क्षेत्र जिसमें मोबाइल नेटवर्क भी विगत 5 वर्षों से काम करने लगा है और मोटरमार्ग की स्थिति तो किसी एडवेंचर से कम की नही है जो पिछले 5 वर्षों से कुछ हद तक सुधरी है लेकिन जल निकासी न होने से इस सड़क के भी हाल बेहाल होने लाजिमी हैं।
पश्चिमी बांगर से लगभग 7 किलोमीटर मोटरमार्ग यदि बनता है तो पूर्वी बांगर का क्षेत्र विकासखण्ड मुख्यालय से जुड़ जाएगा व सबसे बड़ी समस्या तिलवाडा से गुप्तकाशी तक यदि मोटरमार्ग अवरुद्ध होता है तो यह मार्ग वैकल्पिक मार्ग के रूप में गुप्तकाशी को जोड़ने में भी सहायक होगा। गंगोत्री यमुनोत्री से आने वाले यात्रियों जिन्हें श्री केदारनाथ जांना हो के लिए यह मार्ग सबसे नजदीक होगा और यात्रा मार्ग होने के चलते चाहे यह वैकल्पिक यात्रा मार्ग हो पर सुविधाओं का अवश्य ही विकास होगा।
पश्चिमी बांगर ओर पूर्वी बांगर में पर्यटन की अधिक सम्भावनाएं हैं इस क्षेत्र में बुग्याल, बधाणीताल, वासुदेव मन्दिर, घुणेश्वर महाराज मन्दिर आदि साहसिक व धार्मिक पर्यटन स्थल हैं जिनको फलक पर लाकर इन दोनों बांगर क्षेत्रों में समृद्धि लायी जा सकती है।
वर्तमान समय मे अभीतक इन क्षेत्रों में पारम्परिक रूप से यहां के रिंगाल कारीगरों द्वारा रिंगाल के उत्पाद तैयार किये जाते हैं। इन काश्तकारों को प्रशिक्षण देकर भी इनकी आजीविका संवर्धित की जा सकती है। जो स्वरोजगार का साधन ओर स्थानीय उत्पादों जिसमें रिंगाल के उत्पाद निर्माण का केंद्र बन सकता है।
मुख्य मार्गों के अवरुद्ध होने के चलते वैकल्पिक मार्ग होने अति आवश्यक हैं इसका उदाहरण सड़क पर मार्ग अवरुद्ध होने की दशा में गाड़ियों की लंबी कतारें होती हैं।