विकासखण्ड जखोली के गावों में लगे कूड़ेदान बने बीमारियों का घर।
बरसात के सीजन में फैले कूड़े के ढेर के निस्तारण की नही है व्यवस्था।
स्वच्छ भारत मिशन के नारे को बुलन्द करके स्वच्छ गावँ सुन्दर गावँ के ढोल पीटते नारे लिखे बोर्ड विकासखण्ड जखोली के अधिकांश गावों में वित्त की धनराशि से खरीद किये गए कूड़ेदानों के आसपास जमा कूड़े से मुंह चिढ़ा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन की परिकल्पना को धत्ता बताते हुए विकासखण्ड जखोली के लगभग सभी गावँ में कूड़ेदान टिन के डब्बे बनांकर लगाए गए जिसका प्रस्ताव शायद ही किसी ग्राम पंचायत की खुली बैठक में लिया गया हो।
सबसे बड़ी बिडम्बना कहें या नीति-नियन्ताओं के द्वारा कमीशन के चक्कर मे प्रत्येक गावँ को कूड़ेदान को लगवाया गया जिसके टेण्डर हुए हों या किसी समाचार पत्र में इन कड़ेदानो को प्रत्येक गावँ में लगवाने की इश्तिहार छपी हो यह जांच का विषय है। क्योंकि अधिकांश ग्रामीणों से वार्ता करने पर स्पष्ट हुआ है कि यह कूड़ेदान बिना किसी बैठक प्रस्ताव के गावों में लगाये गए और अधिकतर सड़क किनारे ही लगाए गए हैं। जिनके आसपास कूड़े के ढेर लग गए हैं और बरसात के इस मौसम में बीमारियों को बढ़ने का अच्छा खासा साधन यह कूड़ेदान बन गए हैं।
जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग इस कूड़े का निस्तारण के लिए उचित कदम उठाए जिससे कि गाँव क्षेत्रों में बीमारियों को बढ़ने का खतरा बन गया है। यदि इस कूड़े को उठाने की व्यवस्था नही करनी थी तो यह कूड़ेदान आखिर किसकी शह पर गावों में लगवाए गए। प्रत्येक परिवार को दो कूड़ेदान एक गीला ओर एक सूखा कूड़ादान प्लास्टिक के किस लिए दिए गए क्या यह वित्त के पैसे को ठिकाने लगाने की साजिश नही है यदि है तो सम्बंधित से वसूली की जाए और नही है तो इन कूड़ेदानों को लगाने का उद्देश्य क्या था और इनके कूड़े के निस्तारण की योजना पर कार्य क्यो नही किया जा रहा है।
क्योंकि अधिकांश ग्रामीणों से वार्ता करने पर स्पष्ट हुआ है कि यह कूड़ेदान बिना किसी बैठक प्रस्ताव के गावों में लगाये गए और अधिकतर सड़क किनारे ही लगाए गए हैं। जिनके आसपास कूड़े के ढेर लग गए हैं और बरसात के इस मौसम में बीमारियों को बढ़ने का अच्छा खासा साधन यह कूड़ेदान बन गए हैं।
विकासखण्ड स्तर पर एक छोटा कुडा उठान वाहन भी लगाया गया है जो सिर्फ प्लास्टिक को उठाता है बाकी गत्ते कागज नही। अब सवाल यह उठता है कि कूड़े को ऐसे खुले में जलाया नही जा सकता और कुडा उठान वाहन सारे कूड़े को उठा नही रहा तो कूड़े की समस्या का निस्तारण कैसे होगा और यह वाहन सप्ताह में एक दिन आता है।
वही जिला पंचायत रुद्रप्रयाग के द्वारा टेक्स के रूप में गावों की दुकानों से भी टेक्स वसूल किया जाता है पर आजतक एक किलो चूना भी इन छोटे बाजारों को उपलब्ध नही करवाया गया साफ सफाई की व्यवस्था तो बड़ी बात है। जबकि शौचालय की व्यवस्था हो या साफ सफाई की यह जिला पंचायत के द्वारा उन क्षेत्रों में की जानी चाहिए जो नगर पंचायत तक का दर्जा पाने लायक की जनसंख्या वाले नही हुए हैं।