आक्रोशित ग्रामीणों ने DFO रुद्रप्रयाग को किया पंचायत भवन में बन्द।
गुलदार द्वारा 30 मई को रूपा देवी ग्राम डांडा को घात लगाकर बनाया था निवाला।
मानव वन्यजीवों के संघर्ष दक्षिणी जखोली रेंज रुद्रप्रयाग वन प्रभाग रुद्रप्रयाग में इस कदर हो गया है कि फरवरी 2024 से 30 मई 2025 तक 10 घटनाएं गुलदार के द्वारा हमला कर 8 को घायल व 2 महिलाओं को मारने की घटित हो चुकी हैं। इन घटनाओं को यदि देखें तो जखोली मुख्यालय के समीपवर्ती गावों में ही ये घटनाएं घटित हुई हैं।
आज दोपहर के समय उप वन संरक्षक श्रीमती कल्याणी जब ग्रामीणों से वार्ता कर रही थी तो महिलाओं के द्वारा गुलदार को आदमखोर घोषित व गोली मारने के आदेश न देने के चलते आक्रोशित महिलाओं के द्वारा पंचायत भवन डांडा में हो रही वार्ता के बीच पंचायत घर की तालाबंदी की गई।
ग्रामीणों द्वारा कल उपप्रभागीय वनाधिकारी डॉ0 दिवाकर पंत के नेतृत्व में वन विभाग के दल को अल्टीमेटम दिया था कि यदि कोई स्थायी समाधान नही होता है तो कल वन विभाग के अधिकारियों को बन्धक बनाया जाएगा।
दक्षिणी जखोली रेंज के विकासखण्ड जखोली मुख्यालय के समीपवर्ती गावों में गुलदार द्वारा कारित घटनाएं-
गुलदार के हमले की घटनाएं -
01- 30 मई 2025 - श्रीमती रूपा देवी पत्नी श्री रमेश प्रसाद ग्राम डांडा दक्षिणी जखोली रेंज।
02 - 24/02/2025 श्रीमती सर्वश्वरी देवी पत्नी श्री इन्द्रदत्त ग्राम देवल दक्षिणी जखोली रेंज।
03 - 06 दिसंबर 2024 श्रीमती ललिता देवी पत्नी श्री प्रकाश काला पत्नी श्री प्रकाश काला ग्राम मयाली दक्षिणी जखोली रेंज।
04 -31 अक्टूबर 2024 बसंती देवी पत्नी श्री राजेंद्र सिंह ग्राम खरियाल दक्षिणी जखोली रेंज।
05 - 13 अक्टूबर 2024 श्रीमती उर्मिला देवी पत्नी श्री मुरलीधर चमोली ग्राम जयंती दक्षिणी जखोली रेंज।
06- 10 /10 /2024 श्रीमती रैजा देवी पत्नी श्री कीर्तिलाल ग्राम ललूड़ी दक्षिणी जखोली रेंज।
07 - 31/07 /2024 अनीश सिंह पुत्र स्व0 महावीर सिंह ग्राम ढुमकी दक्षिणी जखोली रेंज।
08 - 24/02/2024 श्रीमती दीपा देवी पत्नी श्री अषाढ़ सिंह ग्राम मखेत दक्षिणी जखोली रेंज।
09 - 21/02/2024 श्रीमती गीता देवी पत्नी श्री अनिल सिंह ग्राम मयाली दक्षिणी जखोली रेंज।
10 - 20/02/2024- कार्तिक सिंह पुत्र किशन सिंह ग्राम महरगावं दक्षिणी जखोली रेंज।
इतनी घटनाएं होने के बाद लोग डरे सहमे हैं जो कि घरों में कैद हो नही सकते क्योंकि गाय भैंस का चारा लेने खेतों या जंगल की तरफ जाना हो या खेती के कामों के लिए घर से बाहर निकलना हो यह आवश्यक है। अपने दैनिक कार्यों के सम्पादन के लिए घर से बाहर निकलना ही है।
यही समस्या है कि घर मे कैद होते तो गाय भैंस का चारा का प्रबंध क्या होगा और घर से बाहर निकलते हैं तो बाघ का खतरा है क्योंकि गुलदार का दिन के समय जगह जगह पर दिखना खतरे का सबब बन रहा है।
आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है हमारे पास न संसाधन है जो हम अन्यत्र बसें या तो सरकार जंगली जानवरों का कोई समाधान करे या हमारे लिए अन्यत्र कहीं बसने की व्यवस्था करे।
गुलदार की घटनाओं के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैं क्योंकि अधिकतर लोगों ने खेती छोड़ दी है जिससे बंजर खेतों में झाड़ियां व झाड़ीनुमा पौध तैयार हो गयी है जिससे गुलदार व अन्य जंगली जानवर अपना आशियाना गावँ की बस्तियों के नजदीक बना रहे हैं।
जंगली जानवरों द्वारा नुकसान के कारण ओर पलायन हो चुके परिवारों की जमीन भी बंजर होती जा रही है इसके लिए प्रशासन को चाहिए कि 10 वर्ष से अधिक समय से बंजर जमीन को वन भूमि घोषित कर बंजर जमीन का उपयोग वन कार्यों हेतु करे।
वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों द्वारा गुलदार प्रभावित क्षेत्र में लगातार गश्त के साथ ट्रेप कैमरा, व 4 पिंजरों को लगाया गया है।
उप वन सरंक्षक श्रीमती कल्याणी के द्वारा बताया गया कि इस क्षेत्र में एक से अधिक पगचिन्ह दिखाई दे रहें हैं जिससे यह स्पष्ट नही हो रहा कि कौन से जानवर ने यह घटना कारित की है। इसका समाधान यह है कि गुलदार पिंजरे में पकड़े जाएं वह घटना के समय लिए गए सैम्पलों से मिलान के पश्चात ही स्पष्ट पता चलेगा कि गुलदार कौन सा है। ग्रामीणों से समूह में रहने व अंधेरे के समय घर से बाहर न निकलने की अपील की है।