रोजगार सृजन का सशक्त माध्यम बन सकता है फल प्रसंस्करण।
सिंगोली भटवाड़ी कैट योजना के तहत आजीविका संवर्धन हेतु कुड़ी अदुली में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन।
जनपद रुद्रप्रयाग के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अधिकतर फलों में मुख्यतः माल्टा, गलगल, कागजी नींबू, व बुरांश की उपलब्धता अधिक होती है। स्व-रोजगार की चाह रखने वाले उद्यमियों के लिये यह कच्चा माल वरदान साबित हो सकता है बस जरूरत है एक दृढ़ निश्चय की जो आजीविका के साधन अपने ही घर मे तैयार करके एक नई इबारत को लिखने हेतु माध्यम बनेगा।
सिंगोली भटवाड़ी कैट प्लान के तहत आच्छादित गावँ कुड़ी अदुली में दो दिवसीय आजीविका संवर्धन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन उत्तरी जखोली रेंज की ओर से आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम के मास्टर ट्रेनर श्री भूपेन्द्र चमोली ने फल प्रसंस्करण के बारे में बताते हुए कहा कि किसी भी उत्पाद के मूल्य संवर्द्धन से उस उत्पाद की उम्र और वेल्यू बढ़ जाती है। जरूरत है तो एक दृढ़ निश्चय की जो मुकाम को हासिल करने हेतु उत्साह बनाये रखे और कामयाबी के शिखर को छूने की ताकत बने।
हमारे पहाड़ में रोजगार का साधन प्रकृति ने उपहार स्वरूप ऐसे उत्पाद दिए हैं जो अन्यत्र नही होते। इसलिए यह उत्पाद अधिक प्रचारित नही हुआ है।
पहाड़ी क्षेत्रों में उद्योग धंधे पर्यटन छोड़कर अन्य के स्थापना की सम्भावना शून्य है। क्योंकि कच्चा माल यहां बनता नही या उगता नही है जिससे कि कोई उद्योग धंधे की सम्भावना बन सके। विपरीत भौगोलिक विषमताओं की परिस्थितियों के चलते यह सम्भावना ओर भी क्षीण हो जाती है।
इन्ही समस्याओं के समाधान के लिए प्रकृति द्वारा प्रदत उत्पाद जिसमें माल्टा, बुरांश, गलगल, आंवला, कचनार आदि से जूस ओर अचार बनाकर अपनी आजीविका को समृद्ध किया जा सकता है। इस दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 52 सदस्यों प्रतिभाग किया जिसमें जूस ओर अचार बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।
इस अवसर पर वन विभाग से वन रक्षक आशुतोष पुरोहित, वन पंचायत सरपंच जगदीश सिंह, मास्टर ट्रेनर भूपेंद्र चमोली, मास्टर ट्रेनर तिलक सिंह राणा व प्रशिक्षार्थियों की उपस्तिथि रही।