स्थानीय जन सहभागिता तथा सभी रेखीय विभागों के सयुंक्त प्रयास से नियंत्रित होगी वनाग्नि।
वन विभाग रुद्रप्रयाग के द्वारा रेखीय विभाग, स्थानीय स्वयं सहायता समूह, संगठन, एनजीओ के साथ फॉरेस्ट फायर वर्कशॉप का आयोजन।
पहले वन फिर हम ओर हमारी हर सांस जंगल पर ही टिकी हैं यह हमारा अस्तित्व है यह सिर्फ भाषणों तक सीमित न रहे अपितु धरातल पर भी उतरे के लिए वन प्रभाग रुद्रप्रयाग के द्वारा एक अभिनव पहल की जिसमे दिनांक 11 मार्च 2025 को रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के तत्वाधान में वनाग्नि नियंत्रण हेतु रेखीय विभागों, स्थानीय जन प्रतिनिधियों, स्वयं सहायता समूहों, महिला मंगल दलों, वन पंचायतों के साथ जन सहभागिता बढ़ाने हेतु, कैबिनेट मंत्री तथा रुद्रप्रयाग प्रभारी मंत्री जिला रुद्रप्रयाग सौरभ बहुगुणा की अध्यक्षता में कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में उपस्थित जन समूह को कैबिनेट मंत्री ने बताया की रुद्रप्रयाग वनाग्नि दृष्टिकोण से अति सवेंदनशील जनपद है ओर उत्तराखण्ड सरकार वनाग्नि को लेकर गंभीर है। वनाग्नि को जन सहभागिता, सभी विभागों के आपसी सामंजस्य से नियत्रित किया जा सकता हैं। उक्त कार्यक्रम में विधायक रुद्रप्रयाग श्री भरत सिंह चौधरी द्वारा बताया गया की वनाग्नि एक आपदा हैं तथा इसको नियंत्रित करने में सभी के सहयोग की आवश्यकता हैं।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पर्यावरण विद श्री जगत सिंह चौधरी “जंगली”, श्री देव राघवेंद्र बद्री ने भी वनाग्नि तथा पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपने विचार साँझा करते हुए कहा कि राजस्व विभाग जन समूह से जुड़ा होता है सिविल भूमि का स्वामित्व भी राजस्व विभाग का है। यदि राजस्व विभाग सिविल क्षेत्र के जंगल भी आग से बचाता है तो एक अच्छा समन्वित प्रयास वनाग्नि को रोकने का मॉडल बनेगा। ग्लोबल वार्मिग का प्रभाव कृषि फसलों पर पड़ता है इसलिए कृषि विभाग भी वनाग्नि को रोकने में अपना प्रत्यक्ष रूप से योगदान दें।
पारिस्थिकीय तंत्र संतुलन पिरामिड की तरह है जिसमें सभी जंगली जानवर हैं जिसमें उत्पादक ओर उभोक्ताओं की श्रृंखला है वह वनाग्नि से प्रभावित होता है। मानव वन्यजीव संघर्ष की समस्या का मुख्य कारण पारिस्थितिकीय तंत्र के गड़बड़ होने से होता है। केदारनाथ आपदा कारण भी पर्यावरण असंतुलन था।
मातृ शक्ति व रेखीय विभागों के आपसी सहयोग से वनाग्नि को कैसे रोके इसके लिए उपाय किये जा सकते हैं जिसके लिए जनसभागिता का होना आवश्यक है। रेखीय विभाग जनसहभागिता को बनाने में सहयोग करें जिससे वनाग्नि रोकी जा सकती है।
कार्यक्रम में हे.न.बहुगुणा विश्वविद्यालय के छात्रों तथा “नारी शक्ति जन जागरूकता दल” बूढना द्वारा नुक्कड़ नाटक के माध्यम से वनाग्नि के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया गया।
विगत वर्ष वनाग्नि काल में वन विभाग के सहयोग करने वाले महिला मंगल दलों, वन पंचायतों तथा स्वयं सेवी संस्थानों को प्रभारी मंत्री सौरभ बहुगुणा द्वारा प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित किया गया।
उप वन संरक्षक रुद्रप्रयाग वन प्रभाग श्रीमती कल्याणी द्वारा स्थानीय महिला मंगल दलों, स्वयं सहायता समूहों, वन पंचायतों तथा आम जन मानस से वनाग्नि नियंत्रण हेतु सहयोग की अपील की गयी।
उक्त कार्यक्रम में उपप्रभागीय वनाधिकारी जखोली डॉ दिवाकर पन्त, उपप्रभागीय वनाधिकारी रुद्रप्रयाग श्री देवेंद्र सिंह पुंडीर, रेंज अधिकारी रुद्रप्रयाग श्री संजय, रेंज अधिकारी अगस्तमुनी श्री हरी शंकर रावत, रेंज अधिकारी उत्तरी जखोली श्री सुरेन्द्र नेगी सहित राजस्व, पुलिस, अग्निशमन, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग, ग्राम्य विकास आदि के जिला स्तरीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे ।