उत्तराखण्ड में एपिल मिशन के नाम पर लूट

एप्पल मिशन योजना का उद्देश्य क्या है,
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उत्तराखण्ड में एपिल मिशन के नाम पर लूट।

राज्य में बागवानों की आय बढ़ाने एवं सेब उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एपिल मिशन योजना चलाई जा रही है। 

बागवानों की आय तो नहीं बढ़ी किन्तु योजना माफियों (राजनेता नौकरशाह एवं दलालों का संगठन)  योजना को खूब लूट रहे हैं ।

श्री वीरेन्द्र सिंह पुत्र श्री शांति सिंह ग्राम देवन नैनबाग जौनपुर जनपद टेहरी गढ़वाल को भी उद्यान विभाग ने सुनहरे सपने दिखाए।

एप्पल मिशन योजना के अन्तर्गत एक बागवान को अधिकतम 0.4 हैक्टेयर पर कुल लागत 12 लाख आंकी गई है जिस पर 80 % अनुदान का प्रावधान है शेष 20 %  कृषक अंश होगा जिसका भुगतान कृषक को योजना आवंटन से पहले करना होगा। कास्तकारों को 0.04 है0 से 0.40 तक (02 नाली से 20 नाली तक) समानुपातिक (Pro-rata Basis) लाभान्वित किया जायेगा।


एप्पल मिशन के सफल क्रियान्वयन हेतु उद्यान विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों एवं चयनित पंजीकृत फर्मों को शासनादेश संख्या -18 (09)/2021 दिनांक 06 जनवरी 2023 के द्वारा कड़े दिशा-निर्देश योजना क्रियान्वयन हेतु निर्धारित मानकों के साथ जारी किए गए हैं। कुछ दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं -

 

 कृषकों को बगीचा स्थापना संबंधी नवीनतम तकनीकी प्रशिक्षण, उद्यान विभाग/संस्था द्वारा दिया जायेगा।


पौध रोपण से पूर्व प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण/भ्रमण सम्बन्धित जनपदीय अधिकारियों या उनके द्वारा नामित कर्मचारियों के द्वारा किया जाना आवश्यक है, जिसकी वीडियो व फोटोग्राफी भी किया जाना आवश्यक होगी।


 पौध रोपण के समय रोपण कार्य की वीडियो ग्राफी व फोटोग्राफी किया जाना आवश्यक होगी।


इकाई का पूर्ण रूप से स्थापना होने पर जनपद स्तरीय समिति द्वारा भौतिक सत्यापन किये जाने के उपरान्त  सन्तोषजनक आख्या प्राप्त होने पर ही देय राजसहायता का भुगतान DBT/RTGS के माध्यम से कार्य करने वाली संस्था / पंजीकृत (Empaneled) फर्मों / कम्पनियों/ नर्सरियों को किया जायेगा।


 सेब बागानों की सफलता की पूर्ण जिम्मेदारी कार्य करने वाली संस्था/पंजीकृत (Empaneled) / फर्मों/कम्पनियों/ नर्सरियों की होगी।


 सेब बागानों की स्थापना उपरान्त 03 वर्ष तक बागानों की स्थापना करने वाले संस्था/पंजीकृत (Empaneled) फर्मों/कम्पनियों/ नर्सरियों के द्वारा स्थापना उपरान्त निःशुल्क सेवा प्रदान करना आवश्यक होगा।

श्री वीरेन्द्र सिंह पुत्र श्री शांति सिंह ग्राम देवन नैनबाग जौनपुर जनपद टेहरी गढ़वाल का कहना है कि-

 मुझे जावेद नर्सरी से उद्यान विभाग द्वारा निम्न स्तर के पौधे उपलब्ध कराए गये जिनमें अधिकतर सूख कर नष्ट हो गये है। 

ड्रिप सिंचाई पद्धति मानकों के अनुसार नहीं लगाई गई आधी-अधूरी निम्न स्तर की लगाई गई है।

प्लास्टिक मल्च निम्न स्तर का आधा-अधूरा दिया गया है।

ट्रैलिस सिस्टम Trellis System आधा-अधूरा दिया गया।

उद्यान विभाग का कोई भी कर्मचारी अधिकारी एवं चयनित फर्म का कोई भी आदमी मेरे बगीचे को देखने आज तक नहीं आया।

श्री बीरेंद्र सिंह का कहना है कि योजना के अन्तर्गत दिये गये सूखे पौधों के स्थान पर नये पौधे खुद अपने पैसों से खरीद कर लगा रहा हूं। विगत तीन वर्षों से सेब बगीचे के चक्कर में कोई फसल इन खेतों से नहीं ले पाया कर्ज लेकर विभाग को कृषक अंश एक लाख बीस हजार रुपए जमा किया। फर्म द्वारा स्वयं कोई कार्य नहीं किया गया मुझे अस्सी हजार घेरबाड बीस हजार ट्रेलिस व पैंतीस हजार गढ्ढे खुदान करने के कुल एक लाख पेंतीस हजार रुपए दिए गए। मेरा बगीचा सड़क से दूर हैं जिसपर पेड़ व सामान ढुलाई के मेरे पचास हजार रुपए अलग से खर्च हुए। फर्म वाले धोके से कार्य पूर्ण का प्रमाण पत्र धोखे से हस्ताक्षर करवा के भी ले गए।

यह तो एक बानगी है इस तरह के सैकड़ों बागवान है जो विभाग द्वारा छल्ले गये है।



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