क्रान्तिवीर इरादों के चलते गुरु जी विहीन हो गए विद्यालय।
प्रशिक्षण और बैठक में संकुल व सम्बंधित कार्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति के चलते अधर में लटका नोनिहालों का भविष्य।
जीवन में शिक्षा रूपी दीपक जलाने का जिम्मा सौपें विभाग के दीपक खुद बुझने के कगार पर हैं आखिर सिखाने का जिमा लिए विभाग खुद कब सीखेगा।
जिस विभाग की जिम्मेदारी छात्रों के भविष्य संवारने की है वही अधर में लटका रहा है छात्रों का भविष्य। ऐसी क्रांति शिक्षा के क्षेत्र में आई है कि हजार की गिनती से ऊपर के विद्यालय बन्द हो गए और शिक्षा विभाग वाहवाही का ढिंढोरा पीटने के लिए अपने नए नए संस्करण जो प्रशिक्षण के हैं उन्हें लांच करने और सोशियलमीडिया पर नई क्रांति की इबारत गढ़ेंगे शिक्षा के क्षेत्र में नए झंडे जैसे हेडलाइन चलाकर वाहवाही अपने से ही कर रहा है। आम जन से सरकारी विद्यालयों के हाल पूछे तो कितने नम्बर मिलते हैं इस व्यवस्था को सुधारने में खुद शिक्षा विभाग अनुउत्तरीण है।
आखिर क्यों न जाये निजी विद्यालयों में पठन पाठन के लिए छात्र।कुमाऊं मंडल में 1453 सरकारी स्कूलों को बंद करने की स्थिति उत्पन्न हो गई है। गढ़वाल मण्डल में 2017 में 1365 विद्यालयों की सूची बन्द करने हेतु बनाई गई थी जो स्पष्ट नही है कितने बन्द हुए।
सामाजिक कार्यकर्ता श्री सूर्यप्रकाश नौटियाल का कहना है कि एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे विद्यालयों में सबसे ज्यादा दुर्दशा हो रखी है। प्रशिक्षण और बैठकों के चलते व्यवस्था में चल रहे विद्यालयों में शिक्षा का स्तर कितना अधिक प्रभावित होता है यह ताले लग चुके स्कूलों के इतिहास को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। जब छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा सकती है तो अध्यापकों को क्यों नही दी जा सकती। क्यों एकल व्यवस्था वाले शिक्षक के पास मध्याह्न भोजन का जिम्मा ओर विभागीय पत्रावलियों को तैयार करने का जिम्मा दिया गया है आखिर शिक्षक करे तो क्या करें उच्चाधिकारियों का आदेश मानना उनकी मजबूरी है जिससे पठन पाठन प्रभावित हो रहा है और सभी अभिभावकों को चाहिए कि सरकार के द्वारा जबतक प्राथमिक ओर माध्यमिक स्तर पर लेखाकर ओर प्रत्येक विद्यालय में कम से 3 अध्यापकों की नियुक्ति न हो तबतक सभी अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में पढ़ाएं। ऐसे करने से सरकार के लिए सबक होगा और उन योजनाकारों के लिए भी सबक होगा जो 30 छात्र संख्या पर ओर 1 से 5 वीं तक के विद्यालयों में शिक्षकों की संख्यां को एकल रख रहा है।
अभी हाल में ही दैनिक अखबारों में शिक्षा विभाग का मुंह चिढ़ाती खबर कुमाऊँ में 1453 विद्यालयों में लगेंगे ताले से जीवन में शिक्षा रूपी दीपक जलाने का जिम्मा सौपें विभाग के दीपक खुद बुझने के कगार पर हैं आखिर सिखाने का जिमा लिए विभाग खुद कब सीखेगा।