राजकीय इण्टर मीडिएट कालेज जयंती में कैरियर एंड गाइडेंस कार्यक्रम का आयोजन

कैरियर एंड गाइडेंस कार्यक्रम,सफलता के मंत्र,
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राजकीय इण्टर मीडिएट कालेज जयंती में कैरियर एंड गाइडेंस कार्यक्रम का आयोजन।

विद्यालयी शिक्षा के साथ छात्रों के उज्ज्वल भविष्य हेतु शानदार विभागीय प्रयास।

किताबी ज्ञान के साथ साथ व्यवहारिक ज्ञान जिसे दूसरे शब्दों में सामाजिक चेतना कह सकते हैं का सम्मिश्रण जीवन मे होना जो सफलता का लक्षित लक्ष्य उपार्जित करने हेतु सहायक होता है, चिरन्तर सफलता की ओर बढ़ते जाना विद्यार्जन से ही सम्भव है। 

दिनांक 19 दिसम्बर 2024 को जनपद रुद्रप्रयाग, विकासखण्ड जखोली के राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज जयंती कोठियाड़ा में कैरियर काउंसलिंग गाइडेंस कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें छात्र व छात्राओं को भविष्य में अपने जीवन के लक्षित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ने के लिए अपनी दिनचर्या ओर व्यावहारिक ज्ञान का समग्र उपयोग किस तरह से करें क्या समस्याएं जीवन में आती हैं जो हमारे लक्ष्य प्राप्ति में बाधक बनती है उनका निराकरण अपने स्तर से किया जा सके के लिए किस तरह से स्वयं को मजबूत करना है पर वक्ताओं द्वारा अपने वक्तव्य दिए गए।

 इस विषय पर मुख्य वक्ता श्री सतीश भट्ट के द्वारा उपस्थित छात्र छात्राओं को जीवन मे कभी हार न मानने के लिए अपने आत्मविश्वास को कैसे बढ़ाएं पर विस्तृत रूप से बताया। समय का सदुपयोग करना, अपनी गलती को खुले मन से स्वीकार करना, स्वयं का आत्मविश्वास मजबूत रखना, सुने सबकी करें अपनी मन की ओर अपने फैसले स्वयं लें जैसे गूढ़ विषयों पर बताया कि एक समय हर आदमी के जीवन में ऐसे आता है जब वह हताश ओर निराश हो जाता है यह पल उसकी असफलता का चरम होता है जो कि सफलता का रास्ता ओर असफलता का रास्ता बनाने के लिए शून्य की स्थिति होती है अब निर्णय किस दिशा में लिया गया यह तब पता चलता कि सफलता ही मिलेगी जब आदमी अपनी उस असफलता से पूर्ण रूप से संतुष्ट होगा जिसके कारण हताश ओर निराश की स्थिति में पहुंचा है। हमे हताशा ओर निराशा के दौर को अनुभव करना है और यह जीवनयापन के उच्चतम मानदण्ड में सबसे प्रमुख बिंदु है जो हम अपनी असफलता से संतुष्ट होकर शून्य से शुरू करते हैं।

स्वरोजगार हो या किसी प्रतिष्ठान के अलावा सरकारी नोकरी हो इन्हें पाने के लिए प्राथमिक जानकारी उस विषय की होनी आवश्यक है जिसमें मुख्य रूप से किताबी ज्ञान प्रमुख रूप से ओर व्यावहारिक ज्ञान द्वितीयक रूप से होना आवश्यक है। एक सफल उद्यमी हमेशा असफलताओं से सीखता है जो उत्तरोत्तर विकास के क्रम को चिरन्तर बनाये रखता है जहां बाधाएं आती हैं उन झंझावतों में किसे देखकर अनदेखा करना है और किसे सुनकर अनसुना करना है यह निर्णय हमारे जीवन में एक प्रमुख आदत होनी आवश्यक है जिससे मनोविकार जैसी परिस्थिति कभी नही बनेगी ओर लक्ष्य केंद्रित रहकर आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

पारम्परिक सोच से आगे हमे व्यावसायिक बनने के लिए अपनी समझ को विकसित करना होगा क्योंकि भगवान श्री केदारनाथधाम सहित उत्तराखण्ड के चारधामो का केंद्र बिंदु रुद्रप्रयाग है जहां से होकर यात्री गुजरते हैं अपनी पहचान अपनी उत्कृष्ट उत्पादन प्रणाली से बनानी होगी जिससे हम सफल होंगे और स्वरोजगार का सबसे अधिक सम्भावनाओ वाला क्षेत्र है जिसमें हमारी व्यावसायिक सोच होने से सफल उद्यमी बना जा सकता है।

इस अवसर पर प्रधानाचार्य श्री शैलेन्द्र प्रसाद थपलियाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि विद्यार्थी जीवन मैं संयम और सदाचार आचरण के साथ साथ उन महान हस्तियों के जीवन के संघर्षों से सीख लेनी चाहिए जिसमें पूर्व राष्ट्रपति स्व0 कलाम साहब हैं जिनका नाम जेहन में आते ही श्रद्धा ओर आदरभाव उनके प्रति स्वयं जागृत होता है। आदरणीय कलाम साहब का जीवन किन संघर्षों से गुजरा ओर उनकी असफलता उनकी सफलता कैसे बनी यह अनुकरणीय है । ऐसी कहानी जो हमें अनुकरणीय लगे जिसमें जीवन का सार हो को पढ़कर आत्मसात करना चाहिए।

इस अवसर पर प्रधानाचार्य शैलेन्द्र प्रसाद थपलियाल, अखिलेश चन्द्र मैठाणी, प्रकाश  चन्द्र , विनीत श्रीवाल, रंजना बैरवाण, गोपाल आर्य, कुशलानन्द कोठारी, नितीश कुमार, कादम्बरी भट्ट व सुरेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।



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