हुनर उम्र नही देखती जज्बा देखती है।
नन्हे कलाकार को उचित मंच मिले तो यह उम्दा कलाकार भारत का नाम रोशन करेगा।
जीवटता का उदाहरण 13 टांके पैर में लगे होने पर भी ब्लॉक स्तरीय ओर जनपद स्तरीय बैटमिंटन प्रतियोगिता में प्रथम ओर तृतीय स्थान प्राप्त किया।
चित्रकला का नाम जेहन में आते ही पूर्व समय मे घटित घटनाओं या कोई अलौकिक दृश्य देखने के बाद बना चित्र हो या अदृश्य को सदृश्य रूप में महसूस करके अपनी कलात्मक सृष्टि को आकार देने की कला चित्रकला कहलाती है।
कलाकार की उम्र नही होती और माँ सरस्वती की साधना करने वाले लोगों की अपनी अलग दुनिया होने के चलते उनके मन के भाव कलम की नोक से चित्रित होकर भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत होते हैं और यह कला विरासत में नही अपितु स्वयं के द्वारा की गई साधना से परिलक्षित होती है।
जनपद रुद्रप्रयाग, विकासखण्ड जखोली के एक छोटे से कस्बे तिलवाड़ा के अतुल मॉडल पब्लिक स्कुल में कक्षा 9 में पढ़ने वाला अंशुमन नौटियाल जिसकी उम्र 14 वर्ष है पर जुनून ऐसे की लक्ष्य बनाकर उस मुकाम पर पहुंचने की ललक से ही सम्भव हुआ कि अपने नन्हे हाथों से सजीव चित्रों को पेंसिल की मदद से कागज पर ऐसे उकेरता है जो एक मझें हुए कलाकार की कलाकारी जेसे प्रतीत होते हैं।
अंशुमन नौटियाल का जनून खेल के प्रति भी है जो पैर में चोट लगने के बाद 13 टांके लगे होने के बाद भी ब्लॉक स्तरीय बैटमिंटन प्रतियोगिता में सम्मिलित हुआ ओर अपने हुनर ओर जुनून से प्रथम स्थान प्राप्त किया। तत्प्श्चात जनपद स्तरीय प्रतियोगिता में पैर में दर्द के बाद भी खेलने से पीछे नही हटा ओर प्रतियोगिता में सिंगल मुकाबले में तीसरे स्थान पर रहा।
ऐसा जुनून अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने वालों में ही देखने को मिलता है। ऐसे जीवटता वाले बालकों को यदि उचित मंच मिले तो गावँ ओर क्षेत्र का नाम रोशन तो करेंगे ही पर अपनी कलाकारी से सृजनात्मक विचारों के चिरन्तर नए अध्याय लिखेंगे जो कला प्रेमियों के लिए स्वप्न पूर्ण होने जैसे होता है।
हिमालय की आवाज़ न्यूज पोर्टल अंशुमन नौटियाल के स्वस्थ समृद्ध और दीर्घायु जीवन की मंगल कामना करता है। आपका जीवन कला के क्षेत्र में भगवान भुवनभास्कर की तरह सदैव नई ऊँचाई को छुए।