हिमालय की आवाज़/
वन्य जीवों की गतिविधि पर नजर रखने हेतु वन विभाग द्वारा जयंती गावं में कैमरा लगाया गया।
13 अक्टूबर 2024 को विकासखंड जखोली के जयंती में बाघ द्वारा महिला पर प्राणघातक हमले के बाद वन विभाग द्वारा एतिहातन उपाय किये जा रहें हैं।
13 अक्टूबर 2024 को सांय लगभग 05:40 पर विकासखंड जखोली के जयंती में घर के पास गोशाला की तरफ घास ले जा रही श्रीमती उर्मिला देवी पर बाघ/गुलदार के द्वारा प्राणघातक हमले के बाद वन विभाग द्वारा एतिहातन उपाय किये जा रहें हैं। जिसमें वन क्षेत्राधिकारी एल एस मार्तोलिया व उप वनक्षेत्राधिकारी के सी नैनवाल तथा वन आरक्षी प्रवीण श्रीवाल के द्वारा घटना स्थल के गावं व आसपास के गावों में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना में वन्य जीवों से सुरक्षा हेतु क्या क्या उपाय किये जाएँ जिससे आम आदमी सुरक्षित रहें को बताया जा रहा है।
घटनास्थल के नजदीक गावं में वन्य जीवों की गतिविधियों को नजर रखने के लिए कैमरा लगाया गया है। जिससे की वन्य जीवों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके व यदि वन्य जीवों के द्वारा गावं में लगातार आवक होने की गतिविधि दिखती हैं तो अग्रिम कार्यवाही क्या हो पर निर्णय लिया जा सके हेतु तैयारियां की गयी हैं।
विकासखंड जखोली में माह जुलाई 2024 से अभीतक तक मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं पर एक नजर -
विकासखंड जखोली में पूर्व में ढूमकी गावं में स्कूल जाते बच्चे पर हमला, बैनोली गांव मे 16 जुलाई की रात्री को गुलदार ने भाष्कर नौटियाल की गौशाला मे घुस कर एक दूधारू गाय व उसके. बछड़े को मौत के घाट उतार दिया था, मुख्यालय के नजदीक गांव ललूड़ी की रहने वाली 50 बर्षीय महिला श्रीमती रैजा देवी पत्नी कृर्ति लाल ग्राम ललूड़ी को घास काटते समय 10 अगस्त को बाघ द्व्रारा हमला कर घायल किया गया था, 05 सितंबर को सूर्यप्रकाश नौटियाल ग्राम बैनोली मे फिर 01 दुधारू गाय और उसके बछड़े को गोशाला की छत तोड़कर बाघ के द्वारा मारा गया था, विरांणगाव मे भी गोशाला तोड़कर 2 मवेशियों को तथा सेमा गाँव मे भी गोशाला तोड़कर मवेशियों को गुलदार/बाघ द्वारा शिकार बनाया गया था। इन तमाम घटनाओं के बाद क्षेत्र में बाघ के कारण लोग दहशत में हैं।
मानव वन्य जीव संघर्ष की घटना दुबारा न हो के लिए एतिहातन उपाय वन विभाग रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के दक्षिणी जखोली रेंज के द्वारा किए जा रहे हैं जिसमें जनसम्पर्क कर वन्य जीवों से सुरक्षा के उपाय, वन्य जीवों के द्वारा हमला न किया जा सके के लिए क्या क्या सावधानियां रखनी हैं, वन्य जीवों की गतिविधियों का आवासीय बस्तियों की तरफ होने का कारण आदि के बारें में जनसम्पर्क व गोष्ठी आदि के माध्यम से जन जागरूकता कार्यक्रम को लगातार आयोजित किया जा रहा है।
गुलदार व जंगली जानवरों के आतंक से त्रस्त होकर वर्तमान समय में खेती की जमीन बंजर हो गयी हैं। मानव वन्य जीव संघर्ष कब रुकेगा यह विचारणीय तथ्य हैं। बंजर हो रही जमीन और जंगली जानवरों की आवक बढ़ना मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं आम होना इसपर अध्ययन होकर समस्या का समाधान खोजा जाना आवश्यक है।