हिमालय की आवाज़
कुलदीप रावत की लोकप्रियता को कम आंकना ओर ऐश्वर्या रावत को टिकट न मिलने पर शैलारानी गुट का नाराज होना स्वभाविक है यह भाजपा के लिए बड़ी चुनोती बनेगा।
भाजपा को केदारनाथ की शीट पर चुनाव जीतने के लिए कई समीकरणों को हल करना होगा नही तो अयोध्या ओर बद्रीनाथ शीट पर मिली हार के बाद यह चुनाव किसी धारणा को तोड़ने में सक्षम होगा।
केदारनाथ विधानसभा उप चुनाव को लेकर भाजपा के द्वारा 5 केबिनेट मंत्रियों को युद्धस्तर पर तैयारियों को लेकर कहीं कोई कमी न रह जाये के लिए उप चुनाव से एक महीने पहले से क्षेत्र भ्रमण पर भेजना ओर उपचुनाव की तारीख के एलान होने के इतने दिन बाद तक भी प्रत्याशी के नाम की घोषणा न होने से कहीं न कहीं भाजपा में बगावत के आसार नजर आ रहे हैं। सभी समीकरणों पर पैनी नजर बनाए भाजपा का संगठन कोई ऐसे निर्णय ले सकता है जिसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता है। क्योंकि भाजपा के संगठन के द्वारा लिए गए निर्णय अप्रत्याशित होते हैं और भाजपा उन निर्णयों से सफलता भी अर्जित करती है।
लेकिन भाजपा के द्वारा अयोध्या राम मंदिर का मुद्दा पूरे देश मे भुनाया गया पर अयोध्या की शीट नही जीत पाई ओर बद्रीनाथ विधानसभा पर हुए उप चुनाव में में भी हारना कहीं न कहीं केदारनाथ विधानसभा के प्रत्याशी चयन को लेकर असमंजस बनाये रखने में भी एक कारण हो सकता है।