अनियोजित विकास से जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में।
भूस्खलन की भयावह तस्वीरों के बीच जान बचाकर भागते श्रमिकों का वीडियो वायरल।
उच्च हिमालयी क्षेत्र ओर अति संवेदनशील जॉन होने के बाद भी प्रकृति से छेड़छाड़ करना कहीं न कहीं उच्च हिमालयी क्षेत्र के अस्तित्व को ललकारने जैसे है। हम अनियोजित विकास को लेकर कितने संवेदन शील है यह जोशीमठ में हुए भू धँसाव के बाद उभरी तस्वीरें और अस्त-व्यस्त जन जीवन को देखकर भी सबक न लेना कहीं न कहीं खण्डहरों की चाह रखने जैसे हो रखा है।
पौराणिक महत्व के स्थल ज्योर्तिमठ के नाम से बसा नगर जो कि भगवान नरसिंह के मंदिर को अपनी गोद मे लिए भव्य और धार्मिक आस्था का केंद्र है। जोशीमठ के अस्तित्व पर ग्रहण पहले जल विद्युत परियोजना के निर्माण में भूमगत ब्लास्ट से शुरू हुआ उसके बाद अगला नम्बर अधिक कमाने की चाह में बने बड़े होटलों ने रही सही कसर भू धँसाव वाले स्थान पर कंक्रीट के पहाड़ खड़े करके व इन कंक्रीटों के दबाब से उत्पन्न हुए संकट के चलते जोशीमठ का नक्शा ही बदल दिया।
अब आल वेदर सड़क के निर्माण में हो रहे ब्लास्टों से उच्च हिमालयी क्षेत्र में पिछले 2 मास से हेलंग मारवाड़ी बायपास निर्माण में 12 अक्टूबर को सेलङ्ग गावँ के ठीक नीचे अधिक मात्रा में हुए भूस्खलन होने से इस कार्य को कर रही केसीसी कम्पनी की 1 मशीन दब गई और उस साइट पर काम रहे मजदूरों ने भागकर अपनी जान बचाई जिसका वीडियो भूस्खलन की भयावहता को दिखा रहा है।
निर्माण कार्य भी आवश्यक हैं पर अनियोजित नही सुनियोजित तरीके से। सड़क बनने से विकास होगा यह अच्छा है पर उस स्थान के अस्तित्व को बचाये रखने की जिम्मेदारी भी आवश्यक है। जोशीमठ क्षेत्र में ब्लास्टिंग इस क्षेत्र में क्या प्रभाव डालती है यह भूस्खलन हो रहे क्षेत्रों या अति संवेदनशील क्षेत्र में हों या न हो के लिए स्पष्ट नीति बने नही तो भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र और भू धँसाव जोशीमठ के लिए किसी भी दशा में अच्छा संकेत नही कहा जा सकता है।