हिमालय की आवाज
बैनोली गांव मे गुलदार का आतंक जारी।
रात्री समय गुलदार ने गौशाला के दरवाजे तोडकर 2 गाय को मार गिराया।
इसी सप्ताह विरांणगाव मे भी गोशाला तोड़कर 2 मवेशियों को तथा सेमा गाँव मे भी गोशाला तोड़कर मवेशियों को गुलदार/बाघ द्वारा शिकार बनाया गया।
पहले भी 17 जुलाई को बेनोली गावँ में श्री भास्कर नौटियाल की गोशाला तोड़कर गाय और बछिया को बनाया था निवाला।
जखोली विकासखंड के अन्तर्गत बेनोली गावँ में गुलदार का आंतक छाया हुआ है इसके साथ ही जखोली विकासखण्ड के दर्जनो गाँवो मे गुलदार खुले घुम रहा है, 17 जुलाई को इसी गावँ बेनोली में श्री भास्कर सेमवाल की गोशाला का दरवाजा तोड़कर 1 गाय और 1 बछिया को गोशाला के अंदर ही गुलदार के द्वारा मारा गया था। गुलदार का आतंक इस क्षेत्र में इसी सप्ताह विरांणगाव मे भी गोशाला तोड़कर 2 मवेशियों को तथा सेमा गाँव मे भी गोशाला तोड़कर मवेशियों को शिकार बनाया गया। इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति कम समय मे लगातार होना किसी बड़ी घटना को होने से पहले रोकना आवश्यक है जिसपर वन विभाग अवश्य ही कार्यवाही करनी चाहिए।
आज से कुछ माह पूर्व गुलदार ने ग्राम पंचायत टाट मे कई परिवारों की मवैंशियो को अपना निवाला बनाया और अब दुबारा गावँ में गोशाला को तोड़कर दुधारू पशुओं को मार देने की घटना के बाद ग्राम पंचायत बैनोली के लोग गुलदार के डर के साये मे जीने को मजबूर है।
आपको बता दे कि बैनोली गांव मे आज रात्री के समय गुलदार ने सूर्यप्रकाश नौटियाल पूर्व प्रधान बेनोली की गौशाला मे घुस कर दो दूधारू गायों को मौत के घाट उतार दिया, घटना कल रात की बताई जा रही वही सूर्यप्रकाश नौटियाल ने बताया कि देर शाम को मेरी पत्नी गाय से दूध दुहने के बाद गौशाला के दरवाजे बंद करके अपने घर पर आ गयी।
जब सुबह वो अपने गौशाला दरवाजे खोलने पहुंची तो उन्होंने वहां देखा कि गौशाला की छत के टीन उखड़े हुए हैं, अंदर जाके देखा तो गुलदार ने गाय और बछड़े दोनो मारकर जमीन पर ढेर रखा है। इस क्षेत्र में भालुओं को भी देखा गया और सुअरों के द्वारा खेती को अधिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
जिससे वो ये सब कुछ नजारा देखकर दंग रह गयी। आनन फानन मे परिवार वालो ने वन विभाग दक्षिणी रेंज को सूचना दी जिसपर वन विभाग की टीम ने बैनोली गांव पहुंच कर घटनास्थल का मौका मुआयना कर रही है।
गुलदार व जंगली जानवरों के आतंक से त्रस्त होकर वर्तमान समय में खेती की जमीन बंजर हो गयी हैं। मानव वन्य जीव संघर्ष कब रुकेगा यह विचारणीय तथ्य हैं। बंजर हो रही जमीन और जंगली जानवरों की आवक बढ़ना मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं आम होना इसपर अध्ययन होकर समस्या का समाधान खोजा जाना आवश्यक है। इस घटना के बाद से पूरा गाँव मे दहशत बनी हुई है।