स्वरोजगार के प्रति जूनून को मिला समय का साथ।
सुरेश थपलियाल और उनके साथियों के हौसलों को समय नहीं तोड़ पाया आखिर सफलता स्वयं उनके पास आयी।
सफलता का मूल मंत्र कागजों में अलग और आमबोलचाल में अलग क्यों होते हैं इसका कारण है कि हर मर्ज की दवा जैसे एक ही नहीं होती वैसे ही सफलता के लिए दिए गए सुझाव एक जैसे कारगर नहीं होते क्योंकि परिस्थितियों में देशकाल ओर समय के चलते परिवर्तन होता है।
उत्तराखण्ड भौगोलिक रूप से पर्वतीय क्षेत्र वाला राज्य है। पर्वतीय क्षेत्र में रोजगार के अवसर पर्यटन के अलावा कृषि उद्यान सब्जी उत्पादन आदि को अपनी आजीविका का साधन नहीं बनाया जा सकता है। यह सोचने वालों को आइना दिखाने वाले एक युवा की सफलता और प्रेरणादायक कार्यों से उन असमंजस में ओर मानसिक रूप रोजगार के साधनों की खोज और अपनी जीविकोपार्जन के साधन पाने की लालसा रखने में असफल हो रहे लोगों को इस सफलता की कहानी से सीखना चाहिए की यदि स्वयं की इच्छाशक्ति हो ओर यदि प्रोत्साहन दिया जाए तो अपने देश और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती हैं । अगर इंसान के मन में कुछ करने का जज़्बा और लग्न हो तो छोटे-छोटे प्रयास बड़ी सफलता का आधार बन जाते हैं।
जनपद रुद्रप्रयाग के विकासखण्ड जखोली मुख्यालय समीपस्थ गावँ जयन्ती का नवयुवक सुरेश थपलियाल जिसकी उम्र 35 वर्ष है का संघर्ष और लगन अब जाकर समयानुकूल हुआ है।
सुरेश थपलियाल बताते हैं कि मेरे बगीचे में मौसमी फल और बेमौसमी सब्जियां लगभग हर सीजन पर घर परिवार के खर्च चलाने के लिए पर्याप्त होते हैं। इसके साथ ही बंजर पड़ी लगभग 10 नाली जमीन पर इनके द्वारा एक श्री श्री नाम से कॉटेज बनाये गए हैं।
आज से 5 वर्ष पूर्व जब इस स्थान पर इनके द्वारा बंजर जमीन पर झाड़ी कटान ओर खेतो को दुरस्त करके सब्जी और फूलों की पौध लगा कर कॉटेज बनाये गए थे अमूमन यही बात होती थी कि उस स्थान पर कौन जाएगा रुकने क्योंकि यह स्थान बस्तियों से लगभग 2 किलोमीटर दूर था पर मैने हार नही मानी और कॉटेज बना दिये।
इस वर्ष उत्तराखण्ड में चारधाम यात्रा में गंगोत्री व यमुनोत्री धाम से श्री केदारनाथ व श्री बद्रीनाथ जाने वाले यात्रियों को मयाली गुप्तकाशी मोटरमार्ग से भेजा जा रहा है जिसका में वर्षों से सपना देख रहा था और मेरा सपना पूरा हुआ। इस वर्ष मेरे टीम में 9 लोग इस कॉटेज में कार्यरत है जिनकी आजीविका का साधन घर मे ही बन गया।
इस बार मयाली गुप्तकाशी सड़क पर यात्रा पहली बार चलने के कारण इस मार्ग पर सुविधाओ का विकास नही हो पाया है यदि सरकार इसी तरह इस मोटरमार्ग का उपयोग यात्रा के लिए करती है तो इस 74 किलोमीटर के रास्ते पर कई सौ परिवारों को रोजगार मिलेगा जो उत्तराखण्ड सरकार की बहुत अच्छी उपलब्धि होगी।