जिला प्रशासन बैठा है मौन-पशु चिकित्सक की जाँच के बिना बेचा जा रहा है सड़े हुए मुर्गो का चिकन

मीट की दुकानों मे पशु चिकित्सक की जाँच के बिना बेचा जा रहा है सड़े हुए मुर्गो का मटन,
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 रामरतन पवांर/जखोली।

मयाली बाजार मे   स्थित मीट की दुकानों मे  पशु चिकित्सक की जाँच के बिना बेचा जा रहा है सड़े हुए मुर्गो का चिकन, जिला प्रशासन बैठा है मौन।

जखोली-मुख्य बाजार मयाली मे वर्तमान समय मटन एवं चिकन बेचने की 6 दुकाने स्थित है जिसमे कि खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा बिना परीक्षण किये खुले आम दुकान संचालकों द्वारा मटन -चिकन को बेचा जा रहा है, ये मुर्गे व बकरिया कहाँ से आ रही है इससे खाद्य सुरक्षा विभाग बेखबर है।

विदित हो कि मयाली बाजार मे हर दिन बुचड़खाने के मालिक दर्जनो की संख्या मे मुर्गो की मीट बेचते हैं। लेकिन कभी भी मुर्गो को काटने से पूर्व स्वास्थ्य विभाग द्वारा परीक्षण नही करवाया जाता है। जबकि नियमानुसार माँस की दुकान संचालित करने वाले मालिको को मुर्गे को काटने से पूर्व परीक्षण करवाना जरुरी है। लेकिन ऐसा न करके दुकान संचालक आम जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे है, लोग माँस की गुणवत्ता पर अब सवालिया निशान उठा रहे है।

वैसे तो देखा जाय तो मटन व चिकन की दुकानों लाईसेंस जिला पंचायत जारी करता  है तो फिर ऐसी स्थिति मे जिम्मेदारी जिला पंचायत की बनती है। लेकिन जिला पंचायत 100 रूपये के लाईसेंस बनाने तक सिमित है।

विदित हो कि मयाली बाजार मे बकरे व मुर्गे के माँस को ब्रिक्री करने वाले व्यापारी पीसी एक्ट का उलंघन कर रहे है।  बीमार मुर्गे व बकरो का माँस बगैर पशुचिकित्सक की जाँच कराये खुले आम बेचा जा रहा है।

यही ही नही जखोली ब्लाक के छोटे छोटे बाजारों मे बिना लाईसेंस के बूचडख़ाने चलाये जा रहें हैं। पीसी एक्ट के मुताबिक  बकरा व मुर्गा काटने से पूर्व   पशुचिकित्सक से जाँच का प्रमाणपत्र लेना जरूरी होता है। एक और बात आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बुचड़खाने मे माँस को ऊपर टांकना कानूनी अपराध है।

मयाली बाजार मे अक्सर नीचे शहर से आने वाले मुर्गे की चमड़ी से सारे बाल निकले होते है जिसमे बिमारी के लक्षण साफ झलकते है, अगर इसी प्रकार से बिमारी जड़ित मुर्गे लगातार बुचड़खाने मे काटकर माँस खाने वाले व्यक्तियो को बेचा गया तो फिर ये लोगो की जिन्दगी से भारी खिलवाड़ होगा। आखिरकार जिला प्रशासन की टीम द्वारा एक बार भी मीट की दुकानों का निरीक्षण नही किया जाता है।

दुकान मालिको द्वारा मुर्गो को काटकर फ्रीज मे रख दिया जाता है और दूसरे दिन फिर ग्राहकों को बेच दिया जाता है बासी मीट को बेचकर बूचडख़ानों के मालिक आम जनता जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे। वैसे गर्मी के मौसम मे अनेक बिमारियों के होने का डर बना रहता हैं, और इन सड़े-गले चिकन से बिमारी फैलने का और भी डर बना हुआ है।

यहा भी अवगत करा दे कि मयाली बाजार ही नही मयाली से और चिरबटिया के मध्य व रणधार मोटर मार्ग पर जितने भी मीट की दुकानें है उन दुकानों मे भी बिना लाईसेन्स का सड़ा हुआ चिकन खुले आम बेचा जा रहा। 

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