रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो।
आपदा के दो बर्ष बीत जाने के बावजूद भी जिला प्रशासन द्वारा त्यूँखर गाँव नही करवाई गयी क्षतिग्रस्त सम्पर्क मार्गो की मरोम्मत।
जान हथेली मे रखकर लोग सफर कर रहे है इन क्षतिग्रस्त रास्तों पर फिर भी प्रशासन नही ले रहा है जनता की सुध।
24 अगस्त 2022 को भारी अतिवृष्टि के चलते ग्राम पंचायत त्यूँखर मे भारी भूस्खलन हो गया था जिसके चलते गांव मे कुछ परिवारों के खेत, खलिहान, आवासीय भवन सहित सम्पर्क मार्ग क्षतिग्रस्त हो गये थे, अतिवृष्टि के तुरंत बाद जनपद स्तरीय अधिकारियों द्वारा गाँव का भ्रमण कर काश्तकारों के नुकसान हेतु कार्यवाही करने की बात कह गयी थी, भले ही जिला प्रशासन द्वारा जिन परिवारों का अतिवृष्टी के चलते नुकसान हुआ था उन परिवारों को फौरी तौर पर आर्थिक मदद भी दी गयीं थी लेकिन आपदा के चलते गाँव के जिन जिन तोको मे सम्पर्क पैदल मार्ग पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गये उन क्षतिग्रस्त मार्गों मे से केवल तीन ही पैदल मार्ग ही बन पाये है।
आपकी. जानकारी के लिए बता दे एक पैदल सम्पर्क मार्ग त्यूँखर के खेन्जवा बस्ती आपदा के चलते लगभग 20 मीटर तक क्षतिग्रस्त हो गया था जो कि बस्ती के 15 परिवारों के जाने के लिए पैदल मार्ग था इस मार्ग से इन परिवारों के मवेशिया व स्वयं चलने का एक मात्र रास्ता है,जिस स्थान पर यह रास्ता क्षतिग्रस्त हो रखा है उस जगह से लोग जान जोखिम मे डाल आना जाना करते है लेकिन आपदा के दो साल बीत जाने के बावजूद भी जिला प्रशासन ने इस क्षतिग्रस्त रास्ते को बनवाने की जरूरत नही समझी।वही दूसरा क्षतिग्रस्त रास्ता त्यूँखर गांव के ही पहड़ नामी तोक मे भी है जिस रास्ते पर इस तोक मे आने जाने वाले परिवार भी जानजोखिम मे डालकर आना जाना करते है।
ऐसी परिस्थितियों मे ग्रामीणो की सुध लेने वाला कौन है, यहां तक भी जनप्रतिनिधि भी जनता की सुध मात्र नही लेते है उनको तो केवल जनता चुनाव के समय याद आती है।