रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो।
पाँच बर्ष से एकल अध्यापक के भरोंसे चल रहा है त्योंखर गांव का नवदेव आगर प्राथमिक विद्यालय 39 छात्रो का भविष्य लटक रहा है अधर में।

नही करते हैं शिक्षा विभाग के अधिकारी विद्यालयो का भ्रमण।
भ्रमण के दौरान निरीक्षण करने पर ही स्थिति का चलता पता।
जखोली-बर्ष 1956 मे गठित विकासखंड जखोली आज 67 साल बाद भी अनेक मूलभूत सुविधाओं का दंश झेल रहा है, 110 ग्राम पंचायतों वाला यह ब्लाक आदिकाल मे जीने को मजबूर है।
वर्ष 1997 मे टिहरी से रूद्रप्रयाग का हिस्सा बना जखोली ब्लाक आज भी हाशिये पर है, ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत त्यूँखर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय नवदेव आगर मे लगभग पाँच वर्ष से एक ही अध्यापक के सहारे विद्यालय संचालित हो रहा है जिस कारण से बच्चों के पठन पाठन मे भारी व्यवधान पैदा हो रहा, वर्तमान समय मे स्कूल मे 39 छात्र संख्या मौजूद है।
वही एक तरफ सरकार उत्तराखंड प्रदेश को शिक्षा का हब बनाने की बात कर रही है वह दूसरी तरफ स्कूलों मे शिक्षा व्यवस्था के बूरे हाल है। वर्तमान समय मे सबसे बदहाल स्थिति विद्यालयो की क्षेत्रो मे है।
ज्ञात हो कि त्यूँखर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय नवदेव आगर मे अविभावक लम्बे समय से अध्यापक की माँग कर रहे लेकिन शिक्षा विभाग मे बैठे अधिकारी जनता की आवाज को नजरअंदाज कर रहे, आखिर 39 छात्र. संख्या वाले विद्यालय कब तक एक अध्यापक के सहारे चलता रहेगा, वही विद्यालय मे अविभावको द्वारा स्वयं की व्यवस्था निशुल्क छात्र/छात्राओं के पठन पाठन हेतू एक अध्यापक को रखा है, ताकि पढाई मे कोई व्यवधान पैदा न हो।
वही विद्यालय मे कार्यरत प्राधानाध्यापक जसपाल बैरवाण का कहना है कि स्कूल मे अध्यापक की तेनाती किये जाने के सम्बन्ध में शिक्षा विभाग को भी समय समय पर अवगत कराया जा रहा है। अविभावको का ये भी कहना है कि क्या विभाग को अपने विद्यालयो के बारे जानकारी नही है हमारे स्कूलो मे कितने अध्यापक कार्यरत है।
एक और समस्या नवदेव आगर प्राथमिक विद्यालय त्यूँखर मे है। आलम यह है कि सर्दियों मे त्यँखर गांव मे कड़कड़ाती ठंड पड़ती है यहाँ तक कि बर्फ भी भरपूर मात्रा मे गिरती है फिर भी नन्हें मुन्ने बच्चे पढ़ने के जमीन पर बैठते है यानि बैठने के लिए स्कूल मे शिक्षा विभाग मे आज तक कोई व्यवस्था नही करायी जो कि बड़े खेद का विषय है।
वही पूर्व क्षेत्रपंचायत सदस्य श्रीमती लौंगा देवी पवांर अविभावक संघ अध्यक्ष आंनद सिह, सामाजिक कार्यकर्ता रघुवीर सिह कैंतूरा, विजय सजवाण, आदि का कहना है कि विद्यालयो के बारे जानकारी किसी अधिकारी को तभी पता होगा जब वो क्षेत्र भ्रमण कर विद्यालय का निरीक्षण करेंगे लेकिन अधिकारी केवल सरकारी कुर्सियों मे बैकर रोटियां सेक रहे है तो फिर विद्यालयो का निरीक्षण कौन करेगा।