लघु सिंचाई विभाग रुद्रप्रयाग का कारनामा- बंजर पड़े खेतों में बना दी गूल

कार्यदायी संस्था द्वारा अगर बनायी भी है तो वो गूल बंजर खेती के लिए। जो है निष्प्रयोजन। ग्रामीणो का है आरोप- गूल पर साईन बोर्ड तो लगा है मगर लाबैनोली
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 रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो

कार्यदायी संस्था द्वारा अगर बनायी भी है तो वो गूल बंजर खेती के लिए। जो है निष्प्रयोजन। 

ग्रामीणो का है आरोप- गूल पर साईन बोर्ड तो लगा है मगर बैनोली गाँव मे आपदा के 10 माह गुजर जाने के बावजूद भी नही बन पायी क्षतिग्रस्त गूल। लागत धनराशि है नदारद।

नवनिर्मित गूल का देखिए वीडियो।

जखोली- विकासखंड जखोली के अन्तर्गत बैनौली गाँव के गुणखुणेश्वर गाडपार तोक मे गत वर्ष 24 अगस्त को भारी आपदा के चलते पूर्व मे लघु सिचांई विभाग द्वारा निर्मित गूल लगभग 40 मीटर के आसपास क्षतिग्रस्त हो गयी थी, जिस संमध मे आपदा के तुरंत बाद ग्रामीणो के द्वारा क्षतिग्रस्त गूल के संमध मे जिला प्रशासन को अवगत कराया गया था, लेकिन आपदा के 10 माह बीत जाने के बावजूद भी प्रशासन ने आज तक आपदा से क्षतिग्रस्त गूल की मरोम्मत करना उचित नही समझा ,जबकि इस नहर से बैनौली गाँव के लगभग 15-20 परिवार अपने खेतो की रोपाई व सिचांई करते थे लेकिन जब अब गूल ही नही रही तो फिर खेतो की रोपाई कैसे करें।

ग्रामीणों का कहना है कि कई बार हमने जखोली विकास अधिकारी सहित जखोली मे  तैनात जे ई को भी गूल के समन्ध मे लिखित व मौखिक जानकारी भी दी थी लेकिन हमारी किसी ने भी एक नही सुनी। अब ग्रामीणो के पास अपने खेतो खेतो की रोपाई करने का कोई विकल्प नही बचा है।

अगर समय रहते आपदा से क्षतिग्रस्त गूल का निर्माण प्रशासन द्वारा समय रहते करा दिया होता तो आज काश्तकारों को अपने खेतो मे रोपाई से वंचित नही होना पड़ता है, अब कुछ दिनो बाद खेतो की रोपाई होने वाली है ऐसे मे काश्तकार करे तो क्या करे।

बैनोली के सरपंच आदित्यराम सेमवाल, पूर्व प्रधान सूर्य प्रकाश नौटियाल, उपप्रधान सुबोध, विजय प्रकाश सेमवाल, जय कृष्ण नौटियाल, जगदीश प्रसाद सेमवाल तथा गोविंद राम ने ये भी बताया कि इतना जरुर है कि लघु सिचांई विभाग ने वर्ष 2023 मे एक गूल जरूर बनवायी है जो कि आपदा से क्षतिग्रस्त गूल के ठीक ऊपर से, जबकि ग्रामीणो का ये भी कहना है कि जिन खेतो के सिचांई प्रयोजन से ये गूल बनायी गयी वहाँ के सारे खेत लगभग 4-5 वर्ष से बंजर पड़े है

तो फिर इस गूल का क्या औचित्य है इस गूल पर तोक का नाम, कार्यदाई सस्था का नाम, निर्माण बर्ष का बोर्ड तो लगा है मगर लागत नही लिखी गयी गयी जिससे यह प्रतीत होता है कि कुछ दाल मे काला है।

वही नवनिर्मित गूल के ये हाल हैं कि नहर बनते बनते क्षतिग्रस्त हो गयी पानी गूल मे न जाकर गूल के अन्दर छेदो के जरिये गदेरे मे गिर रहा है। ये गूल कार्यदायी संस्था पर सवालिया निशान खड़े तो करती है इसके साथ साथ भ्रष्टाचार की बू भी आ रही है जो कि जाँच का विषय है।

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