हरीश रावत मांग रहे अपने बयान पर माफी।
कोई तो ऐसा नाम होना चाहिए जिस पर गलतियों का लेखा जोखा लिखा जा सके।
आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव की तपिश नेताओं के बयानों में आनी शुरू हो गयी है आये भी क्यों न आखिर कुर्सी ओर रुतबा किसे नही चाहिए।
लोकसभा चुनाव को लेकर प्रीतम सिंह और हरीश रावत के बीच चल रही बयानबाजी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। राजनैतिक विश्लेषक अपने हिसाब से निहतार्थ के निष्कर्ष निकालने में मशगूल हो गए।
इसी बीच अचानक हरीश रावत का सोशियल मीडिया पर एक बयान आता है जिसमें हरीश रावत द्वारा कहा गया कि आज के समाचार पत्रों को देखने के बाद मेरे कथन से किसी का दिल दुखा है। इसके लिए में क्षमा प्रार्थी हूँ। मेरा मकसद था कि हमारी मैं-मैं ओर समाचार पत्रों की सुर्खियों को बनने के बजाय इस मामले को पार्टि ओर हाईकमान पर छोड़ दें। मगर फिर भी अनजाने में गलती हुई है जिसके लिए में क्षमा चाहता हूं।
मेरे द्वारा अतीत में भी बहुत सी गलतियां हुई हैं। राज्य बनने के बाद 2002 से उम्मीदवार चयन से लेकर कई गलतियां हुई हैं। भगवान बद्रीनाथ जी की कृपा है कि में गलती करने से बचा रहा केसी भी परिस्थितियाँ रही जो अपमानजनक रही पर मै हमेशा कांग्रेस के दामन को थामे रहा। मेरे व्यवहार से कांग्रेस को जो नुकसान हुआ है उसके लिए में पहले ही माफी मांग चुका हूं ओर दुबारा माफी मांग रहा हूँ।
क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के कई दोस्त अपनी सरकार की गलतियों के लिए मुझे ही दोषी ठहराते हैं ओर मुझे उनसे भी कोई शिकायत नही है।
भगवान करे जो अच्छाईयाँ हों वो लोगों के नाम पर लिखी जाएं और जहां जहां गलतियां हों भगवान वो मेरे नाम लिखी जाएं, कोई तो ऐसा नाम होना चाहिए जिसपर गलतियों का लेखा जोखा लिखा जाए।
इस बयान के कई राजनैतिक प्रभाव आगामी चुनाव में देखने को मिलेगें। बयान से स्पष्ट है कि आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए हरीश रावत अपने हथियार नही छोड़ रहे अपितु अपनी भूमिका को स्पष्ट कर रहैं हैं। बयानों के बवण्डर उठते रहने चाहिए जिससे सुर्खियाँ बनती हैं और यह बयान 2024 के चुनाव को लेकर भाजपा मुद्दा बनाती है या नही यह भविष्य ही बताएगा।
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठजन द्वारा बयान आना सामान्य बात हो गयी है जब संगठन में शक्ति नही रहेगी तो बयानबाजी होनी ही है। आखिर कुर्सी ओर वह भी सत्ता की किसको नही भाती



