भर्ती परीक्षा की जांच सीबीआई से न करवाने पर अड़ी सरकार युवाओं के बीच खो रही है अपनी विश्वसनीयता।

UKSSSC परीक्षा घोटाला,विधानसभा में हुई बैकडोर इंट्री से युवा वर्ग नाराज, बेरोजगार युवाओं द्वारा धरना प्रदर्शन और अपनी मांगे न माने जाने पर सरकार,
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 भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर युवाओं ने निकाली रैली।

यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष रहे एस.राजू को भी जांच के दायरे लाने की मांग।

रुद्रप्रयाग। भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर तिलवाड़ा बाजार में स्थानीय युवाओं ने रैली निकाली।  रैली की अगुवाई करते हुए युवा नेता हैप्पी असवाल ने कहा कि इस समय पूरा उत्तराखंड, यूकेएसएससी, विधानसभा से लेकर तमाम भर्तियों में हुई धांधलियों को लेकर उद्वेलित है। 

    नौकरियों की बिक्री और मनमानी नियुक्तियों का जिस तरह का जाल सामने आया है, उसे देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश में कोई ऐसी नियुक्ति नहीं है, जिसकी प्रक्रिया को पारदर्शी या साफ-सुथरा माना जा सके।

आंदोलन को समर्थन देने पहुँचे उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी मोहित डिमरी ने कहा कि यूकेएसएसएससी एवं अन्य भर्तियों में हुई धांधलियों में हुई शुरुआती जांच एसटीएफ़ द्वारा की गयी। लेकिन जिस व्यापक पैमाने पर धांधलियों की बात सामने आ रही है, ऐसे में तमाम युवा यह महसूस करते हैं कि सभी नियुक्तियों की ऐसी एजेंसी से जांच होना आवश्यक है, जो राज्य सरकार के नियंत्रण से मुक्त हो। इसलिए हमारी यह मांग है कि सभी नियुक्तियों की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई से करवाई जाये। 

    ऐसी जांच इसलिए भी आवश्यक है क्यूंकि अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि जिन्हें मास्टरमाइंड कहा जा रहा है, वे सब नौकरियों का सौदा, किसके राजनीतिक संरक्षण में कर पाये ? बिना राजनीतिक संरक्षण के इतने बड़े पैमाने पर किसी के लिए भी नियुक्तियों में धांधली करना संभव नहीं है और राजनीतिक संरक्षक, अभी भी शिकंजे से बाहर हैं। राज्य की पुलिस के लिए उन पर हाथ डालना मुश्किल है, इसलिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच आवश्यक है। 


यूकेडी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भगत चौहान ने कहा कि राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक की सभी नियुक्तियों की जांच करवाई जाए। संदेह के दायरे में आए कार्मिकों के विरुद्ध विभागीय एवं कानूनी कार्यवाही अमल में लायी जाये। यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष रहे श्री एस.राजू को भी जांच के दायरे में लाया जाये। 

    उत्तराखंड लोकसेवा आयोग द्वारा छह वर्ष बाद पीसीएस की परीक्षा आयोजित की गयी। लेकिन इस बीच उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड की युवतियों को प्रदत्त 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण निरस्त कर दिया है।

   उत्तराखंड के खिलाड़ियों और आंदोलनकारियों का आरक्षण इससे पहले समाप्त हो चुका है। उत्तराखंड की युवतियों एवं अन्य श्रेणियों का आरक्षण बहाल करने के प्रभावी उपाय किए जाएँ। 

स्थानीय युवा कमलेश चमोली, नवीन चमोला, राजकुमार भारती, पंकज नेगी, ईशा असवाल, काजल, पिंकी, संतोषी कैंतुरा, साक्षी ने कहा कि हाल में प्रदेश में अग्निवीरों की भर्ती की प्रक्रिया जिस तरह से आयोजित की गयी, उसमें भर्ती करने से ज्यादा, भर्ती से युवाओं को बाहर करने पर ज़ोर दिया गया।

   देश सेवा के लिए सेना में जाने के इच्छुक युवाओं की आकांक्षाओं पर, यह पूरी भर्ती प्रक्रिया तीव्र कुठराघात थी। इस भर्ती प्रक्रिया में गलत तरीके से जानबूझ कर बाहर किए गए युवाओं को पुनः अवसर दिया जाये। साथ ही सेना में नियमित भर्ती की बहाली की जाये।

उत्तराखंड के राजकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती एपीआई स्कोर के बजाय प्रतियोगी परीक्षा से की जाये। साथ ही यू सेट की परीक्षा भी तत्काल करवाई जाये।

उक्त सभी मांगों पर तत्काल सकारात्मक कार्यवाही की हम मांग करते हैं अन्यथा युवा अपने आंदोलन को और अधिक तीव्र करने के लिए बाध्य होंगे।

युवा वर्ग के इस रोष को अनदेखा करना कितना सही है-

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