रामरतन पवांर/जखोली
ग्राम पंचायत बरसीर गांव की रहने वाली लाचार महिला के पास रहने के लिए नही कोई आवास।
अब महिला लगा रही है आवास की दरकार, गरीब आवासविहीन को घर दो सरकार।
अगर आवास है भी तो जीर्ण शीर्ण अवस्था मे है,कभी भी हो सकता है धराशाई और हो सकती है बड़ी दुर्घटना।
जखोली - जनपद रुद्रप्रयाग मे दर्जनो मे ऐसे परिवार निवास करते है जिनके पास न रहने के लिए घर है और ना ही खाने के लिए अन्ना, न जाने ऐसे स्थिति मे ये गरीब परिवार किस तरह से अपनी जिन्दगी बिता रहे है।
ज्ञात हो कि जखोली विकासखंड का निकटतम गांव बरसीर के अनूसूचित बस्ती मे रहने वाली श्रीमती रामेश्वरी देवी पत्नी राजेश लाल बताती है कि पहले से ही हमारी पारवारिक स्थिति बहुत ही दयनीय थी न घर मे खाने के लिए था न रहने के लिए कोई आसरा।
रामेश्वरी देबी बताती है कि मेरे पति हरिद्वार किसी होटल मे बर्तन धोने का काम करते थे जिससे कि किसी तरह से बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजारा चलता था,जब
घर मे रहने के लिए मकान नही था तो राजेश लाल अपनी पत्नी व तीनो बच्चों को अपने साथ हरिद्वार ले गया और वहीं एक किराये के छोटे मोटे कमरे मे रहने लगे।
लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, कि आचानक रामेश्वरी का पति कही लापता हो गया। काफी खोजबीन के बावजूद भी जब रामेश्वरी का पति राजेश लाल मिला तो इस लाचार महिला पति के वापस आने कि आस छोड़ दी, और अब रामेश्वरी देबी जाये तो कहां जाते।
आपको बताते चलें कि रामेश्वरी देबी के तीन नाबालिग बच्चे हैं जिसमे सबसे बड़ी लड़की 17 साल एक लड़का 11साल व एक 9साल का है। किसी तरह से महिला इन तीनो बच्चों को निराश होकर अपने मायके अगस्त्यमुनि के चमेली गांव मे ले आयी और अपने मां के साथ रहने लगी।
राजेश लाल को आज लापता हुए लगभग चार साल का समय बीत चुका है, चार साल रामेश्वरी देवी अपने मायके मे किसी तरह बिताये, लेकिन रामेश्वरी देबी के मायके की स्थिति भी ठीक न होने के कारण उसकी मां ने महिला के परिवार को अपने ससुराल बरसीर गांव भेज दिया।
रामेश्वरी देवी के ससुराल की स्थिति यह है कि न उसके पास सर छुपाने के लिए मकान है न खाने के लिए एक अन्न का दाना तक है।
रामेश्वरी के पास रोजगार का भी कोई साधन नही है अब सवाल इस बात का है कि महिला अपने लिए कहां से आवास बनायेगी किस प्रकार अपने अनाथ बच्चों का पालन पोषण करेगी, गांव मे जोडा भी मकान है पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त की कगार पर है।
आज यह महिला अपने अनाथ बच्चों के साथ इस जीर्ण शीर्ण मकान मे रहने को मजबूर है। स्थिति यह है कि मकान कभी भी धराशाई हो सकता है और एक बड़ी दुर्घटना हो सकती है।