न नल न जल फिर भी भरो बिल।
जल संस्थान रुद्रप्रयाग के द्वारा उपभोक्ताओं को भेजे जा रहे हैं अवैध बिल।
योजना हस्तांतरण में हो रही देरी कई सवाल खड़े करता है।
रुद्रप्रयाग - जल संस्थान रुद्रप्रयाग के द्वारा भेजे गए बिलों से ग्रामीणों मे असमंजस की स्थिति और रोष की स्थिति बन गयी है। जल जीवन मिशन की पेयजल लाइन पर द्वितीय चरण का कार्य भी पूर्ण हो चुका है। जल जीवन मिशन की पेयजल लाइन पर कार्य पूर्ण हुए 05 महीने से अधिक का समय हो चुका है पर अभी तक हैंडओवर ग्राम सभा/ विभाग/संस्थान/निगम को नही हुआ है। इसके कुछ सम्भावित कारण हो सकते हैं जिसमें योजना हस्तांतरण में हो रही देरी कई सवाल खड़े करता है।
जल जीवन मिशन की लाइन पर कार्यपूर्ण हुए महीनों बीत जाने के बाद भी योजना अभी ठेकेदार से जल निगम को हस्तान्तरित नही हुई तो जल संस्थान या कोई भी विभाग इस लाइन के रख रखाव पर बजट खर्च कैसे करेगा। ठेकेदार भी कार्य पूर्ण कर चुका है तो योजना का रखरखाव कैसे होगा।
गौरतलब है कि जल जीवन मिशन के प्रथम चरण में हर घर नल- हर घर जल योजना में जल संस्थान या ग्राम पंचायत आदि की पूर्व से संचालित पेयजल लाइन से पेयजल कनेक्शन दिए गए। इस योजना के दूसरे चरण में स्रोत से पेयजल लाइन बिछाई गई जिसमें पूर्व में प्रथम चरण में दिए गए कनेक्शनों को द्वितीय चरण में मुख्य लाइन से जोड़ा गया जिससे जल संस्थान की पुरानी लाइन से सारे कनेक्शन स्वभाविक रूप से हट गए ओर जल संस्थान के द्वारा पूर्व में बनाये गए पेयजल टैंकों पर पेयजल आपूर्ति बंद हो गयी जिससे स्पष्ट है कि जल संस्थान जिन गांवों में हर घर नल हर घर जल जो पेयजल निगम द्वारा बिछवाई गयी लाइन से जुड़ चुके है में पेयजल उपभोग के बिल किस आधार पर देगा। लेकिन बिल मिलने से उपभोक्ताओं में असमंजस है कि जल जीवन मिशन की लाइन के बिल जल संस्थान क्यो दे रहा जब पेयजल आपूर्ति की लाइन जल निगम की है।
ऐसी ही स्थिति विकासखण्ड जखोली के पोंणगाड़ गदेरे पर पेयजल स्रोत बहने के बाद जल निगम ही पेजजल स्रोत को काम चलाऊ रूप से तैयार कर रहा है। यदि जल संस्थान बिल वसूल रहा तो लगभग 6 माह से जल जीवन मिशन की कार्यदायी संस्था जल निगम के द्वारा बिछाई गई पेयजल लाइन से आपूर्ति हो रहे पेयजल के बदले अपनी पेयजल लाइन पर पानी क्यो नही चला रहे जबकि ग्रामीण 27 जून 2025 से लगातार पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं।
विशेष सूत्रों के हवाले से सूचना मिली है कि जल जीवन मिशन की पेयजल लाइन जो आरक्षित वन ओर सिविल वन से होकर बिछाई गई है उसका लेंड ट्रांसफर नही हुआ है। इसके कारण जल निगम ठेकेदार से पेयजल लाइन को हैंड ओवर नही ले पा रहा है यदि ऐसे है तो वन विभाग की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है आखिर इतने बडी मात्रा में आरक्षित वनों के अंदर कार्य हुए हैं जो बिना लेंड ट्रांसफर के है पर कार्यवाही क्यो नही हुई।
क्या यह सम्भव है कि न नल न जल फिर भी वसूली जा रही हो मोटी धनराशि जल संस्थान विभाग रुद्रप्रयाग द्वारा जिसका खामियाजा आम उपभोक्ता मोटी रकम देकर चूका रहा हो। यह संभव कर दिखाया है जल संस्थान रुद्रप्रयाग द्वारा और अब एक श्रृंखला जल संस्थान के कार्यों की लगातार प्रकाशित होती रहेगी जिसमें सभी पाठकों से अनुरोध है कि अपने अपने क्षेत्र में जल संस्थान की पाइप लाइनों और उसकी हालत जरूर साझा करेंगे।