रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो
सरकार द्वारा 60 साल पूर्व छैनागाड़ के घरेणा तोक मे ग्रामीणों को अपने काश्तकारी के लिए आवंटित भूमि को वन विभाग ने किया कब्जा।
जनप्रतिनिधियों ने अपने गौचरान को वन विभाग के कब्जे से छुड़वाने के लिए क्षेत्रीय विधायक सहित जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन।
तहसील बसुकेदार क्षेत्रान्तर्गत स्थान छेनागाड़ के घरेणा नामी तोक मे 14 गाँवो की बरसाती मौसम के लिए निर्मित छानी व गौचरान के लिए सरकार द्वारा जो जमीन हक हकूक के लिए ग्रामीणों को उपलब्ध करायी गयी थी, जिसमे कि क्षेत्रीय जनता लगभग 60 सालो से उपरोक्त गाँवो के लोग इस जगह को छावनी व गौचरान के रुप मे उपयोग मे जाते थे ।
वो जमीन आज वन विभाग द्वारा ग्रामीणों से छुड़ाकर अपने कब्जे मे ले ली, जिस कारण से इस हक हकूक की भूमि को वन विभाग के द्वारा अपने कब्जे मे लेने पर यहा काश्तकारों मे भारी आक्रोश फैला हुआ है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस प्रकार से ग्रामीणों की जमीन को वन विभाग द्वारा छीनकर हमारे हको पर डाका डालने का काम किया है जो कि आम जनता के साथ घोर अन्याय है।
वन विभाग द्वारा पहले तो काकड़ा नामक तोक की छानिया व खरक को तोड़ा गया ओर विभाग द्वारा इस स्थान पर अपना प्लान्टेशन व नर्सरी प्लांट लगाया गया।
ग्रामीणों द्वारा वनाधिकारी से भी अपील की गयी कि इस प्लान्टेशन को अन्यत्र शिप्ट कर लो लेकिन विभाग जनता की एक भी सुनने को तैयार नही है।
आपको बता दे कि यह स्थान ग्रामीणों के भेड़-बकरी चुगान, बरसाती काश्तकारी का मुख्य साधन था।
इस सम्बंध मे स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्रीय विधायक श्रीमती शैलारानी रावत व जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग को लिखित रुप मे एक ज्ञापन भी सौंपा।
ज्ञापन मे जनप्रतिनिधियों ने कहा कि वन विभाग द्वारा सालो पुराना गौचरान जिसमे कि सरकार ने ग्रामीणों को काश्तकारी करने का हक दिया था उस हक को आज ग्रामीणों से छीना जा रहा है।
जिलाधिकारी व विधायक से उनके हक हकूको वापस करने की मांग की ज्ञापन मे प्रधान डुगंर, प्रधान ताल आमणा, शिव सिह, प्रेम सिह, जसपाल सिह, सूरज सिह, रणजीत सिह पूर्व प्रधान मंगल सिह तालजामणा आदि के हस्ताक्षर मौजूद हैं।
देखिए विशेष रिपोर्ट ग्रामीणों का क्या कहना है।
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