उत्तराखंड का 'ऊर्जा प्रदेश' का नारा, 17 परियोजनाओं के बावजूद बेहाल।
उत्तराखंड प्राकृतिक रूप से सर्वाधिक सुन्दर और प्रकृति के अनमोल उपहारों से परिपूर्ण हिमालयी राज्य है। उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश दावा करने वाली सरकारें और सरकारी विज्ञापनों में स्पष्ट रूप से दिखता है पर हकीकत में एक कहावत सही बैठती हैं हाथी के दांत दिखाने के और खाने के कुछ और ही होते हैं।
रोजगार साधनो की बात करें तो पिछले बीस सालों में पहाड़ में कितने रोजगार अवसर तैयार किये गए हैं, स्वास्थ्य और शिक्षा का स्तर कितना सुधरा है इसकी सत्यता यहां पर लगातार जनशून्य हो रहे गावों की संख्या से लगाया जा सकता है।
वर्तमान समय में चारधाम यात्रा चल रही है और धामों में विद्युत व्यवस्था लगातार सही है पर धामों और मुख्य बाजारों को छोड़कर ग्रामीण इलाकों में बिजली फोटोग्राफी करने वाले कैमरे की फ्लैश लाइट की तरह आ रही है, यह असुविधा रुद्रप्रयाग जनपद में अधिक देखने को मिल रही है ऐसे क्यों तो विभाग आपूर्ति और मांग में भारी अंतर् के साथ केदारनाथ यात्रा का हवाला दे रहें हैं। जबकि केदारनाथ धाम का क्षेत्रफ़ल इतना बड़ा नहीं है की ग्रामीण क्षेत्रों में आपूर्ति होने वाली बिजली की खपत अकेले केदारनाथ में हो सके।
एक तरफ पिछले दो सालों में कोरोना के चलते लोगों की रोजगार की क्या स्थिति हुयी इससे सभी वाफिक हैं दूसरी तरफ अपना कोई छोटा मोटा रोजगार कोई कर भी रहा है तो करे कैसे बिजली तो बिजली बन गयी। सरकार ने प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश का नाम तो दे दिया मगर मगर ये ऊर्जा प्रदेश की बात लोगो को हजम नही हो रही है।
आज हम ग्रामीण अंचलों की बात करते हैं तो ग्रामीण क्षेत्रो मे अक्सर बिजली गुल रही है, मात्र गाँवो मे महीने मे केवल 15 दिन ही लोगो को बिजली मिल पाती है। अन्य ओर पन्द्रह दिन बिजली गायब रहती है। फिर ऐसी स्थिति मे ये उर्जा प्रदेश किस काम का।
हम अगर जनपद रुद्रप्रयाग की बात करे तो रुद्रप्रयाग जिले के दर्जनों गाँवो मे बराबर लाईट न होने के कारण लोग बिजली संकट से जूझ रहे है।
क्या कोई समाधान है इस ऊर्जा प्रदेश में जिससे कि लोगो को बिजली संकट से निजात मिल सके।
प्रदेश में इस साल सबसे ज्यादा बिजली संकट देखने को मिल रहा है। इसकी दो प्रमुख वजह बताई जा रही हैं। इस साल मार्च महीने में औसत डिमांड सर्वाधिक 37.944 मिलियन यूनिट और उपलब्धता 28.680 मिलियन यूनिट रिकॉर्ड हुई। उत्तराखंड में यह पहला मौका है जब अप्रैल महीने में ही बिजली की डिमांड करीब 50 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई जिसके सापेक्ष करीब 34 मिलियन यूनिट राज्य उत्पादन और केंद्रीय पूल से मिल रहा है. ऐसे में बढ़ी हुई डिमांड को पूरा करने के लिए बाजार से बिजली की खरीद की जा रही है जो हर दिन करीब 10 करोड़ से ज्यादा की पड़ रही है
उत्तराखंड में यूजेवीएनएल की परियोजनाएं:- उत्तराखंड जल विद्युत निगम की प्रदेश में कुल 17 परियोजनाएं चल रही हैं। इनसे सालाना करीब 5,100 मिलियन यूनिट विद्युत का उत्पादन हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल 5,188.88 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ था। वित्तीय वर्ष 2021-22 में करीब 4,900 मिलियन यूनिट का उत्पादन किया गया। हर महीने के लिहाज से देखें तो निगम करीब 1,396 मेगावाट की परियोजनाएं संचालित कर रहा है जोकि करीब 400 मेगावाट की परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
पांच साल में 1-10 अप्रैल के बीच बिजली की डिमांड, उपलब्धता
वर्ष | औसत डिमांड | उपलब्ध बिजली |
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2018 | 32-34 मिलियन यूनिट | 19-28 मिलियन यूनिट |
2019 | 33-37 मिलियन यूनिट | 36-38 मिलियन यूनिट |
2020 | 17-19 मिलियन यूनिट | 21-25 मिलियन यूनिट |
2021 | 32-38 मिलियन यूनि | 18-26 मिलियन यूनिट |
2022 | 39-42 मिलियन यूनिट | 29-31 मिलियन यूनिट |