अग्निवीर योजना कितनी कारगर होगी देश की सुरक्षा और अभ्यर्थी के भविष्य के लिए।
देश की सीमाओं की सुरक्षा लिए तैनात सैनिकों के प्रति सभी देशवासियों के मन निश्छल भाव से होता है। आज भारत सरकार ने सेना में भर्ती के लिए अग्निवीर योजना लांच की है जिसके अनुसार अब 4 साल के लिए सैनिकों का चुनाव होगा। योजना का स्वरूप किस प्रकार का होगा के लिए लोग संशय में है कि इस योजना का क्या होगा? यह अग्निवीर योजना सफल होगी या नही? जनसंख्या के हिसाब से देखें तो विश्व में दूसरे स्थान पर भारत का स्थान है। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में जहां युवा दिहाड़ी पर काम करने को तैयार हैं उच्च शिक्षित परिचारक करने के लिए तैयार हैं वहीं भारत में 10वीं/12वीं की योग्यता के बाद अधिकतर सेना में भर्ती होकर अपना भविष्य सुरक्षित करने और सेना जैसी नौकरी पाकर युवा वर्ग अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता है।
अब सेना में भर्ती होने के लिए 4 साल तक नौकरी और चार साल बाद एक बड़े अमाउंट के साथ सेवानिवृत्ति प्रथम दृष्टया देखें तो अच्छा लगता है। यदि देखा जाय तो भारत में बढ़ती हुई बेरोजगारी के स्तर में कमी आएगी और जो युवक सेना अपनी सेवाएं देंगे उनकी उम्र 4 वर्ष बाद 21 से 25 वर्ष के बीच होगी। 25% लोगों को स्थाई करने का प्रावधान भी है। अग्निवीर सैनिको की उम्र साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच होगी।
आज इस अग्निवीर योजना के लांच होने पर कुछ बड़े सवाल सभी के मन में उठ रहें हैं।
पहला सवाल क्या 6 महीने का प्रशिक्षण समय एक जवान के लिए पर्याप्त है या नही?
दूसरा सवाल - एक अग्निवीर योजना में भर्ती हुआ सैनिक जिसे मालूम है कि उसे अगले 2 या 3 साल में रिटायर होना है उसकी मनोदशा उस स्तर तक पहुंच पाएगी जिस स्तर पर एक स्थायी सैनिक का आत्मविश्वास और सुदृढ़ मनोदशा होती है सवाल 3 - भारत सरकार ने अभी तक स्पष्ट नही किया है कि क्या अब स्थाई भर्ती का रास्ता अग्निवीर के रास्ते से चलकर मिलेगा या सीधे भी स्थाई भर्ती के आवेदन होंगे। यदि सीधी भर्ती होती है तो सेवारत अग्निवीर उसमें जा सकेगा या नही?
सवाल 4 - क्या अभी हाल में ही जो सैनिक प्रशिक्षण ले रहें हैं या जिनका लिखित परीक्षा ही बाकी है उन्हें अग्निवीर योजना में लिया जायेगा या वो स्थायी सैनिक होंगे।
वर्तमान सरकार रोजगार के अवसर आदि में 'विश्वास जीतने' में भरोसा रखती है इसके लिए वर्तमान सरकार ने कई योजनाएं लॉन्च की जिसका फायदा रोजगार की चाह रखने वाले लोगों ने उठाया है जबकि इससे पहले की सरकारें 'पहला हक उन्ही का' इससे आगे नहीं बढ़ पायी थी।
देश में आतंकवाद का खतरा देश के अंदरूनी भागों के साथ सीमाओं पर हर वक्त बना रहता है क्योंकि भारत ने आतंकवाद से जूझने में अपनी शक्ति और धन दोनों को लगाया है। अब सवाल बनता है की अग्निवीर योजना जो कि सिर्फ 4 साल सैनिक के रूप में जवान को सेना में अपनी सेवाएं देने के लिए बनी है और दूसरी तरफ आतंकवाद की भर्ती में जाने वाले आतंकवादी अब पाकिस्तान ट्रेनिंग लेने जाने की जगह इसी भर्ती पर फोकस करें और हमसे हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेकर उधर का रास्ता पकड़ लें।
यदि आज से वर्ष 2032 तक के समय को देखें तो यह एक पक्ष है कि अगले 10 सालों में हमारे पास सेना द्वारा प्रशिक्षित हथियार चलाने में ट्रेंड युवाओं की एक फौज होगी, मगर एक तथ्य ये भी है कि वो फौज अपने भविष्य एवं नौकरी तलाश रही होगी, युवा होगी जिसको अन्य दूसरे रास्तों पर भी मोड़ा जा सकता है। जबकि भारत जैसे देश के विभिन्न हिस्सों में नक्सलवाद से लेकर जुम्मे के दिन पत्थरबाजी बमबाजी आम हो रही है।
अब यक्ष प्रश्न है कि कुछ कम जनसंख्या वाले अन्य देशों में सेना में अल्पकालीन सेवा/अनिवार्य सेवा को अनिवार्य किया गया है। दूसरी तरफ वहां का कारपोरेट सेक्टर ऐसे लोगों को गार्ड, गनर और सुरक्षा के अतिरिक्त अन्य नौकरियों में भी स्वीकार करता है। क्या भारत में ऐसा सम्भव हो पायेगा या नहीं विचारणीय व भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ प्रश्न है इस प्रश्न का उत्तर इसलिए भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है क्योंकि भारत अधिक जनसंख्या के कारण संबंधित फील्ड की मैनपावर सस्ती दरों में उपलब्ध रहती है।
यदि इस योजना के लाभ देखें तो सरकार का पेंशन का खर्च बचेगा। पेंशन मद में बचने वाले व्यय को सेना के आधुनिकीकरण पर लगाया जा सकता है। अब देश की सुरक्षा और भीतरी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी यह योजना बन सकती है यदि इसका क्रिन्वियन सही से नही हुआ तो यह योजना एक आपदा का भयानक रूप भी साबित हो सकती है। यदि वर्तमान सरकार के अब तक सेना के लिए किये गए कार्यों को देखें तो इस योजना पर लोग विश्वास करेंगे, बाकि आने वाला भविष्य निर्धारित करेगा की अग्निवीर योजना भारत को कितना सुरक्षित रखने में सफल होती है और युवाओं का आत्मविश्वास और मनोबल को कितना संभाल पाती है।