रामरतन सिह पवांर/गढ़़वाल ब्यूरो।
स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में तम्बाकू निषेध कार्यशाला का किया गया आयोजन।
अगस्त्यमुनि- तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए घातक है और वर्कलोड स्ट्रेस को कम करने के नाम पर इसका सेवन करने से स्वास्थ्य के साथ साथ परिवार और समाज पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसी क्रम में स्वास्थ्य मंत्री उत्तराखंड सरकार के आवाह्वन पर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि की प्राचार्य एवम संरक्षिका प्रो पुष्पा नेगी के दिशा निर्देशन में एक दिवसीय तम्बाकू निषेध कार्यशाला का आयोजन किया गया महाविद्यालय में आयोजित की गई । तम्बाकू निषेध समिति के सदस्य एवम वक्ता डॉ अखिलेश्वर द्विवेदी जी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि भारत को युवाओं का देश कहा जाता है किंतु हमारे देश के अधिकांश युवा किसी न किसी प्रकार के तम्बाकू या तम्बाकू से निर्मित सामग्री का सेवन कर रहे है । जो कि विचारणीय प्रश्न बन गया है युवाओं के नशे की लत से कई परिवार आज बर्बादी के कगार पर खड़े हैं ।
प्रायः देखा जा रहा है कि अधिकांश युवा अपने स्टेटस सिंबल , आधुनिकता और फैशन के तौर पर तम्बाकू के सेवन पर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं। कुछ लोग इसे वर्क लोड के स्ट्रेस और तनाव को दूर करने का आसान तरीका मान कर अपना रहे है ।
डा द्विवेदी जी ने बताया कि वर्क लोड के स्ट्रेस और तनाव को दूर करने के लिए तम्बाकू का प्रयोग कुछ क्षण के लिए आपको आराम तो देगा किंतु धीरे धीरे आपके शरीर को खोखला करता जायेगा। पश्चमी संस्कृति और पाश्चात्य सभ्यताओं को जीने वाले लोग आज अपनी संस्कृति से ऊबकर अपने स्ट्रेस और तनाव को दूर करने अथवा कम करने के लिए भारतीय संस्कृति की पद्धतियों जैसे योग, आध्यात्म एवम साधना को अपना रहैं इसका उदाहरण ऋषिकेश हरिद्वार जैसे जगहों पर विदेशियों के रहने उनकी योगसाधना में रुचि होना जो कि हमारी भारतीय संस्कृति के गौरव की देन है। इतना सब देखने के बाद भी हमारे देश का युवा वर्ग पाश्चात्य सभ्यता को अपना रहे है
इसी क्रम में डाo दलीप बिष्ट ने बताया कि विदेशी ताकतें हमारे देश को कमजोर करने के लिए देश के युवाओं को नशे का गुलाम बनाने पर लगी है । विदेशी ताकतें कभी नही चाहती हैं कि उनके बराबर कोई खड़ा हो क्योंकि उन्हें गुलाम बनाना और अपने आप को सर्वोपरि मानने की आदत पड़ी है बड़े खेद का विषय है कि यह सब जानने के बाद भी भारत का युवा नशे के प्रति आकर्षित हो रहा है।
किसी परिवार को अपने घर के युवा व्यक्ति से उम्मीद होती है कि वो परिवार को सभी प्रकार की सुरक्षा एवम मजबूती प्रदान करेगा । यदि युवा स्वयं में ही नशे की लत में गिरफ्त होकर अपने आपको कमजोर कर देगा तो वह परिवार को कैसे मजबूत कर पाएगा । डा० प्रकाश फोंदनी ने तम्बाकू के सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों एवम दूरगामी परिणामों की चर्चा की , उन्होंने बताया कि तम्बाकू के सेवन से रोगग्रस्त व्यक्ति केवल स्वयं में ही रोग ग्रस्त नही होता वरन सम्पूर्ण परिवार को तनाव युक्त रोगी बना देता है ।
प्राचार्य प्रो पुष्पा नेगी ने आशीर्वचन के रूप में " पहला सुख निरोगी काया " की सार्थकता का संदेश दिया , उन्होंने बताया कि युवा समाज व देश का भविष्य है। यदि युवा सबल है तो परिवार, समाज एवम राष्ट्र भी सबल है । सबल होने के लिए मानसिक मजबूती के साथ अपने लक्ष्य को केंद्रित कर सही दिशा में बढ़ने की जरूरत है। स्वस्थ और सही सोच के लिए स्वस्थ खान पान का होना आवश्यक है। यदि सेवन करना है तो अच्छे खाद्य पदार्थो का सेवन कीजिए तम्बाकू व तम्बाकू से निर्मित पदार्थों का नही ।
उक्त कार्यशाला का संचालन महाविद्यालय तम्बाकू निषेध समिति के नोडल अधिकारी डा० हरिओम शरण बहुगुणा जी तथा तकनीकी सत्र का संचालन एवम धन्यवाद ज्ञापन डा० सुधीर पेटवाल ने किया ।
उक्त कार्यशाला में महाविद्यालय के 220 छात्र व छात्राएं लाभान्वित हुए । इस कार्यशाला में महाविद्यालय के प्राध्यापक डा० एल डी गार्गी , डा० पूनम भूषण, डा० ममता भट्ट, डा आबिदा, डा० अनुज चौधरी, डा० जितेंद्र सिंह, डा० दयाधार सेमवाल इत्यादि उपस्थित थे ।