रामरतन सिह पवांर/गढ़वाल ब्यूरो--
सरकार ने छात्रो के लिए चलायी थी निशुल्क टेबलेट योजना।
बैंक खातो मे डाले गये थे 12000 हजार की धनराशि। कई छात्रो ने नही खरीदे टेबलेट फोन, लगाये गये फर्जी बिल।
टेबलेट फोन के फर्जी बिलो की शासन -प्रशासन से होनी चहिए जाँच---
जखोली- उत्तराखंड की धामी सरकार द्वारा माह जनवरी 2022 मे प्रदेश के सरकारी विद्यालयों मे वर्तमान मे कक्षा 10 व 12 वीं कक्षाओं मे अध्यनरत छात्रो के लिए आनलाईन पढाई करने के लिए निशुल्क टेबलेट मुहैया कराने की योजना बनाई थी।
जिसमें कि इस योजना के तहत हजारों छात्रो के बैंक खातो मे 12000 रू की धनराशि भी आ चुकी है, ताकि वो छात्र बड़ी सरलता के साथ दुकान पर जाकर टैबलेट मोबाइल खरीद सके। सरकार के द्वारा इसलिए सीधी ये धनराशि छात्रो के खातो मे इसलिए डाली गयी थी कि उनको कार्यालय के चक्कर न काटने पड़े।
ज्ञात हो कि सरकार ने लाखो करोड़ों रु टेबलेट खरीदने हेतू बितरण तो कर दिये लेकिन सैकड़ो छात्रो ने आज भी टेबलेट खरीदे ही नही।
आपको बता दे जनपद रूद्रप्रयाग सहित विकासखंड जखोली मे हाईस्कूल, इटंर मे पढ़ने वाले सैकड़ो छात्र छात्रो ने टेबलेट नही खरीदे है, कम छात्रो ने केवल फोन खरीदे। जबकि सरकारी नियमानुसार टेबलेट फोन खरीदने अनिवार्य थे। साथ ही साथ दुकान से खरीदे गये टेबलेट फोन का बिल को विद्यालयो के माध्यम से शिक्षा के कार्यालय मे जमा करने थे।
लेकिन कई छात्रो ने दुकानदार से बिना टेबलेट खरीदे 600 सौ रुपये मे फर्जी बिल लाकर विद्यालय के प्रधानाचार्य को थमा दिये। विडम्बना इस बात की है कि किसी भी प्रधानाचार्य व अध्यापक के द्वारा जो छात्र केवल टेबलेट नही ब्लकि खाली बिल लेकर आये उन छात्रो को स्कूल प्रशासन ने उनको टेबलेट क्यों नही लाये के समंध पूछना मुनासीफ नही समझा और चुपचाप बिल को माँगकर शिक्षा विभाग की झोली मे डाल दिया।
आखिर इस तरह से सरकार धन का दुर्पयोग किया गया,इसका दोषी स्कूल के प्रधानाचार्य विद्यालय प्रबंधन समिति हैं जो कि बिना टेबलेट खरीदे फर्जी बिलो को छात्रो से मंगवा कर सरकार को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे।
सवाल इस बात का है जब सरकार ने 12000 रु टेबलेट खरीदने के लिए छात्रो के बैंक खातो मे डाले थे तो फिर कई। छात्रो ने टेबलेट क्यों नही खरीदे केवल दुकान मे जाकर 600 सौ रू बिल खरीदे जिसकी जाँच होनी अतिआवश्यक है।