रामरतन सिह पवांर/जखोली
विकासखंड जखोली के त्यूंखर गांव का रहने वाला नरोत्तम सिह पवांर कला के क्षेत्र मे बढाना चहाता था कदम।
आर्थिक तंगी व पारिवारिक परिस्थिति के चलते कला से रह गया वंचित।
जखोली-कला (आर्ट) शब्द इतना व्यापक है कि विभिन्न विद्वानों की परिभाषाएँ केवल एक विशेष पक्ष को छूकर रह जाती है।भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओं को कहते है जिसमे अपार कौशल अपेक्षित हो।यूरोपीय शास्त्रियों ने भी कला मे कौशल को महत्वपूर्ण माना है।
इसी चीज को लेकर आज हम आपको एक नौजवान की कलाकारी से अवगत करायेंगे।
आपको बता दे कि ग्राम पंचायत त्यूंखर का रहने वाला नरोत्तम सिह पवांर जो कि अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए किसी आफिस मे रात दिन मेहनत करके अपने परिवार का पालन करता है। आपको यह भी बता दे कि नरोत्तम सिह पवांर अपने आप मे एक बेहतरीन आर्ट यानि कला मे निपुण है यह नौजवान अपनी कलाकारी के माध्यम से किसी भी पुरुष ,महिला की अपने शानदार तस्वीरों को बनाने मे माहिर है।
लेकिन क्या करे कोई प्लेटफार्म न मिलने के कारण आज नरोत्तम सिह अपनी कलाकारी का ठीक से. प्रदर्शन करने मे असमर्थ है।
नरोत्तम सिह कहते है कि अगर मुझे कही से अपनी इस कला को आगे बढाने मे किसी का साथ मिलता तो मै इस कला को जगह जगह तक बिखेरने का काम करता., लेकिन सबसे बड़ी समस्या आर्थिक रुप से भी हो रही है। क्योकि मै एक गरीब परिवार के बोझ तले दबा हूँ जिस कारण से जीवन मे उबरना बड़ा मुश्किल है।नरोत्तम सिह कहते है कि कला को मै अपने जीवन का मै एक विशेष हिस्सा मानता हूँ। कला किसी न किसी प्रकार से हमारे जीवन से जुड़ी है,कला व्यक्ति के मन मे बनी स्वार्थ,परिवार, क्षेत्र, धर्म, भाषा और जाति आदि की सीमाएँ मिटाकर विस्तृत और व्यापकता प्रदान करती है, इन सभी बातो को लेकर मेरे मन मे बचपन मे कला की जागृति पैदा हुई थी, लेकिन पारिवारिक स्थिति सही न होने के कारण मै आज इस कला के क्षेत्र मे आगे नही बढ़ पाया हूँ।
नरोत्तम सिह का कहना है कि मै अभी तक 250 से भी अधिक पेन्टिंग बना चुका हूं लेकिन मुझे खास प्लेटफार्म नही मिल रहा है।अगर कोई व्यक्ति अपनी तस्वीर बनवाता है तो उनमे से कई लोग एऐसे भी है जो पैसे देते ही नही है,जबकि मै मात्र 1000रू ही फोटो बनाने की लेता हूं जो कि मेहनत से भी कम है।