1984 से लंबित मोटरमार्ग की मांग पर सफलता: ग्रामीणों का आमरण अनशन समाप्त।
कागजी और राजनीतिक भंवर में फंसी सड़क की 40 साल की गाथा, प्रशासनिक हस्तक्षेप से मिली गति और अनशन समाप्ति।
उत्तराखंड के पूर्वी बांगर और पश्चिमी बांगर क्षेत्र को जोड़ने वाली 9 किलोमीटर लंबी बधाणी ताल से क्वारीखाल (या भुनालगांव) मोटरमार्ग की मांग आखिरकार पूरी होने की उम्मीद जगी है। इस मांग को लेकर पिछले कुछ दिनों से रुद्रप्रयाग में लोक निर्माण विभाग कार्यालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठे ग्रामीणों ने जिलाधिकारी और विधायक के ठोस आश्वासन के बाद अपना आंदोलन समाप्त कर दिया है।
कागजी और राजनीतिक भंवर में फंसी सड़क की 40 साल की गाथा
यह मोटरमार्ग बांगर क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए केवल एक सड़क नहीं, बल्कि 1984 से चली आ रही उनकी एक बुनियादी जरूरत है, जिसे पूरा होने में लगभग चार दशक लग गए। यह विडंबना है कि दशकों तक यह महत्वपूर्ण परियोजना कागजी प्रक्रियाओं और राजनीतिक आश्वासनों के भंवर में फंसी रही। इस मार्ग की अनदेखी का खामियाजा ग्रामीणों को तब भुगतना पड़ा जब छेनागाड़ आपदा के दौरान संपर्क मार्ग न होने के कारण पूर्वी बांगर के 6 गांवों में रसद आपूर्ति के लिए बधाणीताल वाले रास्ते पर ही निर्भर रहना पड़ा। यह सड़क न केवल आपातकालीन स्थिति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यात्रा और पर्यटन की दृष्टि से भी इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो स्थानीय रोजगार के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है।
इससे पहले भी, सितंबर 2021 में, गेठाना गांव में 9 दिनों तक धरना प्रदर्शन हुआ था, जिसे तत्कालीन विधायक रुद्रप्रयाग के आश्वासन के बाद समाप्त किया गया था, लेकिन कार्यवाही फिर भी लंबित रही।
प्रशासनिक हस्तक्षेप से मिली गति और अनशन समाप्ति
ग्रामीणों के इस गंभीर आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए, आज जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग प्रतीक जैन, विधायक भरत सिंह चौधरी, और उप वन संरक्षक/प्रभागीय वनाधिकारी स्वयं धरना स्थल पर पहुंचे। जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि मुख्यमंत्री ने भी इस मामले में त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए हैं और शासन स्तर पर इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।
प्रशासन द्वारा दिया गया ठोस आश्वासन:
वन भूमि और सिविल भूमि: 9 किलोमीटर के इस मार्ग में लगभग 8 किलोमीटर वन भूमि और 1 किलोमीटर सिविल भूमि आती है। इसके निर्माण से लगभग 1271 पेड़ प्रभावित होंगे।
वृक्षारोपण के लिए भूमि चयन: वन विभाग, राजस्व विभाग और लोक निर्माण विभाग द्वारा संयुक्त निरीक्षण के बाद, साढ़े तीन हैक्टेयर सिविल लैंड का चिन्हीकरण वृक्षारोपण के लिए कर लिया गया है।
समयबद्ध कार्यवाही का भरोसा:
3 दिनों के भीतर: वन विभाग द्वारा चयनित भूमि का स्थलीय निरीक्षण के बाद, मोटरमार्ग निर्माण हेतु प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।
1 माह के भीतर: शासन स्तर पर औपचारिकताएं पूर्ण कर फॉरेस्ट क्लियरेंस हेतु फाइल भारत सरकार को भेजी जाएगी।
3 माह का अनुरोध: भारत सरकार से तीन माह के भीतर फॉरेस्ट क्लीयरेंस प्रदान करने का अनुरोध किया जाएगा।
जिलाधिकारी ने इसे अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी बताते हुए निर्माण कार्य की प्रगति पर स्वयं निगरानी रखने का आश्वासन दिया, साथ ही कहा कि आपदा की संवेदनशीलता को देखते हुए, फाइल पर शीघ्र कार्यवाही के लिए भारत सरकार से आग्रह किया जाएगा।
जिलाधिकारी के इस मजबूत और समयबद्ध आश्वासन के बाद, संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिव लाल आर्य, केदार सिंह रावत और गैणू लाल ने जूस पीकर अपना आमरण अनशन स्थगित कर दिया और जिलाधिकारी का आभार व्यक्त किया। इस कदम से 1984 से संघर्षरत बांगर क्षेत्र के ग्रामीणों में अपने दशकों पुराने सपने को साकार होते देखने की आशा जागृत हुई है।


