पहाड़ में गहराता 'जंगली' संकट

भालू के हमले की घटना उत्तरकाशी भटवाड़ी महिला की मौत,
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पहाड़ में गहराता 'जंगली' संकट: घास लेने गई महिला भालू के भय से पहाड़ी से गिरी, मौत।

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के भटवाड़ी ब्लॉक के औंगी गांव में हुई एक हृदय विदारक घटना ने एक बार फिर पहाड़ों पर जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक और उससे महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रविवार देर शाम घास लेने जंगल गई औंगी गांव निवासी विनीता राणा (37), पत्नी सत्येंद्र राणा की भालू के अचानक हमले से बचने के दौरान पहाड़ी से गिरकर दर्दनाक मौत हो गई।

यह घटना न सिर्फ एक परिवार के लिए त्रासदी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पहाड़ों की जो महिलाएं रोज़मर्रा की ज़रूरतों (जैसे घास, लकड़ी, चारा-पत्ती) के लिए सबसे अधिक जंगल पर निर्भर हैं, वे ही वन्यजीवों के हमलों का सबसे आसान और लगातार शिकार बन रही हैं।

दर्दनाक घटनाक्रम:

जानकारी के अनुसार, विनीता राणा रविवार शाम को अन्य महिलाओं के साथ जंगल गई थीं। इसी दौरान, घात लगाए बैठे एक भालू ने उन पर हमला कर दिया। भालू को सामने देख विनीता राणा घबराकर जान बचाने के लिए भागीं, लेकिन संतुलन खोने के कारण वह पहाड़ी से नीचे गिर गईं। मौके पर ही उनकी मौत हो गई। साथ की प्रत्यक्षदर्शी महिलाओं ने तुरंत गांव पहुंचकर ग्रामीणों को सूचना दी, जिसके बाद ग्रामीण शव को गांव लाए और राजस्व विभाग तथा वन विभाग को सूचित किया।

पहाड़ की महिलाओं पर दोहरी मार:

पहाड़ में जीवनयापन का मुख्य आधार जंगल है। चारा-पत्ती, ईंधन और कृषि कार्य का ज़िम्मा प्रमुख रूप से महिलाओं के कंधों पर होता है। उन्हें रोज़ाना जोखिम उठाकर जंगल के भीतर जाना पड़ता है, जिससे वे वन्यजीवों के सीधे निशाने पर आ जाती हैं। इस ताज़ा घटना ने महिलाओं की इस "असुरक्षित रोज़ी-रोटी" पर गहरी चिंता उत्पन्न कर दी है।

ग्रामीणों का आक्रोश और वन विभाग की लापरवाही:

गांव के प्रधान सतीश रावत ने बताया कि औंगी और आस-पास के क्षेत्रों में लंबे समय से भालू का आतंक है। भालू कई बार रिहायशी इलाकों के करीब तक पहुंच चुके हैं, जिससे ग्रामीणों में हमेशा दहशत का माहौल बना रहता है। प्रधान ने यह भी आरोप लगाया कि वन विभाग (DFO) से बार-बार गश्त बढ़ाने और भालू के आतंक को रोकने की मांग की गई, लेकिन विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते वन विभाग सचेत होता, तो शायद विनीता राणा की जान बचाई जा सकती थी।

वन विभाग ने झाड़ा पल्ला:

सोमवार को मृतका का अंतिम संस्कार होने के बाद वन विभाग के अधिकारी और रेंज अधिकारी, बाड़ाहाट, मुकेश रतूड़ी मौके पर पहुंचे। अधिकारी ने अभी यह स्पष्ट रूप से पुष्टि नहीं की है कि महिला की मौत सीधे भालू के हमले से हुई या उससे बचने के प्रयास में गिरने से। उन्होंने केवल इतना कहा कि भालू को भगाने के लिए इलाके में लगातार गश्त की जा रही है और पटाखे चलाए जा रहे हैं।

गंभीर चिंतन की ज़रूरत:

यह घटना सिर्फ एक मौत नहीं है, बल्कि यह एक अलार्म है जो पहाड़ के गांवों में महिलाओं की सुरक्षा और उनके जीवन-यापन के साधनों पर मंडराते खतरे को दर्शाता है। ग्रामीणों और खासकर महिलाओं की मांग है कि सरकार और वन विभाग तत्काल प्रभाव से जंगली जानवरों के रिहायशी इलाकों की तरफ आने पर रोक लगाए। वन्यजीवों के हमलों से बचाव के लिए पुख्ता रणनीति बनाई जाए और प्रभावित परिवारों के लिए उचित मुआवज़े और सुरक्षित आजीविका के उपाय किए जाएं, ताकि पहाड़ की महिलाओं को रोज़ाना मौत के साये में जीने को मजबूर न होना पड़े।


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