पर्वतीय कृषक बागवान उद्यम संगठन ने जिलाधिकारी से की 11 सूत्रीय वार्ता।

पर्वतीय कृषक बागवान उद्यम संगठन के द्वारा किसानों के मुद्दे उठाए गए,
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 पर्वतीय कृषक बागवान उद्यम संगठन ने जिलाधिकारी से की 11 सूत्रीय वार्ता।

किसानों की आजीविका और आर्थिक विकास हेतु योजनाओं में डीबीटी लागू करने, उद्यान कार्ड और कृषकों की क्षतिग्रस्त परिसम्पतियों के मुआवजे की माँग प्रमुख।

पर्वतीय कृषक बागवान उद्यम संगठन, जनपद रुद्रप्रयाग, ने आज दिनाँक 17 अक्टूबर 2025 को जिलाधिकारी, रुद्रप्रयाग, से मुलाकात कर किसानों के हित में 11 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गहन वार्ता की। संगठन ने कृषक कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाने, स्थानीय उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने और जंगली जानवरों से सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया।

संगठन के जिलाध्यक्ष श्री सतीश भट्ट के नेतृत्व में श्री कैलाश गोस्वामी, श्री कुंवर सिंह, श्री सीताराम कोठारी, श्री मानवेन्द्र सिंह, श्री राहुल नेगी, श्री विक्रम, श्री लवकेश नेगी, श्री विजय सेमवाल सहित एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी से मुलाकात की। संगठन ने स्वयं को सरकार और किसानों के मध्य एक "फैसिलिटेटर" बताते हुए जनपद के किसानों की आजीविका और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

प्रमुख माँगें और सुझाव:

1. कृषक कल्याण योजनाओं में डीबीटी लागू करने की माँग: संगठन की सबसे प्रमुख मांग कृषि एवं उद्यान विभाग की कृषक कल्याण योजनाओं में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजना का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करना रही। उन्होंने तर्क दिया कि डीबीटी लागू होने से विभागों में 'दलाली' पर रोक लगेगी, किसानों को उचित दर पर अच्छी गुणवत्ता का सामान मिलेगा और स्थानीय बेरोजगारों को व्यवसाय के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने कृषि सचिव, उत्तराखंड शासन के 17 मई 2021 के शासनादेश का सख्ती से पालन करवाने का अनुरोध किया।

2. जैविक खेती योजना के क्रियान्वयन में अनियमितता: परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत ऑन-फॉर्म एवं ऑफ-फॉर्म निवेशों हेतु कृषकों को प्रोत्साहन धनराशि का भुगतान डीबीटी के माध्यम से न किए जाने पर आपत्ति जताई गई। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग स्वयं निम्न स्तर के निवेश उच्च दरों पर खरीदकर किसानों को बाँटते हैं। संगठन ने जैविक जनपद रुद्रप्रयाग के किसानों को जल्द से जल्द जैविक प्रमाण पत्र जारी करने की भी मांग की।

3. हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी मिशन में विसंगतियाँ: प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि इस योजना का प्रतिपादन, क्रियान्वयन और निगरानी भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार नहीं हो रहा है। उन्होंने जिला अधिकारी की अध्यक्षता वाली जिला मिशन कमेटी द्वारा योजना का अनुमोदन अनिवार्य करने की मांग की, जिसके बिना योजना का लाभ बार-बार कुछ ही लोगों को मिल रहा है। इसके अलावा, बीजों की खरीद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद या राज्य बीज निगमों से न करके निजी कंपनियों/दलालों के माध्यम से करने पर भी रोक लगाने की मांग की गई।


4. 'उद्यान कार्ड' में अनिवार्य एंट्री: किसानों के लिए अनिवार्य उद्यान कार्ड न बनने और बने हुए कार्डों में भी योजनाओं के तहत दिए गए निवेशों की एंट्री न करने पर संगठन ने चिंता व्यक्त की। किसानों का कहना है कि सामान कम दिया जाता है और अधिक दिखाया जाता है। संगठन ने पारदर्शिता के लिए किसानों को दिए गए निवेशों की प्राप्ति रसीद या बिल उपलब्ध कराने की भी मांग की।

5. केदारनाथ यात्रा मार्ग पर सरकारी दुकानों में जगह: पर्वतीय कृषक बागवानी उद्यमी संगठन ने महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थानीय उत्पाद (दालें, मंडुआ, आटा, जूस, अचार आदि) बेचने के लिए केदारनाथ यात्रा मार्ग पर बनी सरकारी दुकानों में जगह उपलब्ध कराने की मांग की, ताकि ग्रामीण महिलाओं की आजीविका सुरक्षित हो सके।

6. जंगली जानवरों से सुरक्षा और घेराबंदी: जंगली जानवरों से हो रहे आर्थिक और जान-माल के नुकसान को देखते हुए गांवों की कृषि एवं आबादी भूमि की सामूहिक रूप से घेराबंदी/तारबाड़ करने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत उपाय करने की मांग की गई तथा केयरिंग कैपिसिटी के निर्धारण हेतु जंगली जानवरों की गणना व क्षेत्र की क्षमता के अनुसार जंगली जानवरों को बसाए जाने की मांग की जिससे पारिस्थितिकीय तंत्र मजबूत बन सके।

7. मानवेन्द्र सिंह नेगी को मुआवजा: संगठन ने काश्तकार श्री मानवेन्द्र सिंह नेगी के मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की। उन्हें उद्यान विभाग से मिले कागजी नींबू के 125 पौधों पर अनुपयोगी जम्बीरी का फल आने से हुई आर्थिक, मानसिक और शारीरिक क्षति की वास्तविक भरपाई/मुआवजे का शीघ्र निर्धारण एवं भुगतान करने को कहा गया।

8. समर्थन मूल्य और पैकिंग सुविधा: किसानों को अपने उत्पादों के लिए सब्सिडी पर या उचित मूल्य पर पैकिंग सामग्री उपलब्ध कराने और कृषि बागवानी में उपयोगी आधुनिक उपकरणों को भी सब्सिडी पर देने की मांग की गई। साथ ही, सभी प्रकार की फसलों पर समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने और गुणवत्ता के आधार पर धोखाधड़ी होने पर जवाबदेही तय करने पर बल दिया गया।

9. अतिवृष्टि से पीड़ित किसानों का पुनर्वास: अतिवृष्टि से कृषि, मछली तालाब, बागवानी इत्यादि को हुई क्षति से पीड़ित किसानों को पुनः अपने व्यवसाय को खड़ा करने के लिए आवश्यक कदम उठाने और उन्हें किसान कल्याण की योजनाओं से जोड़ने की भी मांग की गई।

संगठन ने अनुरोध किया कि ग्राम्य विकास से संबंधित सभी विभागों (उद्यान, कृषि, जलागम, पशुपालन, मनरेगा, उद्योग आदि) की योजनाओं के निर्माण हेतु होने वाली बैठकों में संगठन के सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए ताकि योजनाओं का निर्माण स्थानीय किसानों की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप हो सके।

जिलाधिकारी ने संगठन की सभी मांगों और सुझावों को गंभीरता से सुना और आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके साथ ही संगठन के सदस्यों से विस्तृत वार्ता करने के लिए कहा जो पर्वतीय कृषक बागवान उद्यम संगठन से जुड़े सदस्यों के लिए भविष्य में होने वाली समस्याओं के निदान के लिए सार्थक कदम है।

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