गोपेश्वर जिला अस्पताल में प्रसव के दौरान महिला की मौत।
वेंटिलेटर पर है नवजात, सुविधाओं के अभाव में ऐसे कबतक दम तोड़ते रहेंगे पहाड़वासी।
चमोली- पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं का हो या अन्य मूलभूत सुविधाओं का कितना अभाव है यह आंकड़े पलायन से जूझ रहे पहाड़ों की तस्वीर और समय समय पर स्वास्थ्य सुविधाओं के दम तोड़ते मरीजों और रेफर केंद्र बनते अस्पतालों की खबरें जग जाहिर हैं जो इस विकट स्थिति से जूझते हैं वही इस पीड़ा को समझ सकते हैं।
विकासखण्ड दशोली के बछेर गावं की श्रीमती मीना देवी पत्नी श्री प्रदीप सिंह उम्र 30 वर्ष को शनिवार के दिन प्रसव पीड़ा के बाद गोपेश्वर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया प्रसव के दौरान एक महिला की मौत हो गई। जबकि नवजात को वेंटिलेटर पर रखा गया है। घटना की सूचना मिलने पर क्षेत्र के लोग अस्पताल में पहुंचे और उन्होंने इसे अस्पताल प्रशासन की लापरवाही बताकर हंगामा शुरू कर दिया। आखिर क्यों नहीं सुधरती पहाड़ों में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं क्या आम आदमी ऐसे ही तड़फ तड़फ के मरने को कबतक मजबूर होगा वही माननीय अपने इलाज के लिए विदेशों तक पहुंच जाते हैं आखिर ऐसे भेदभाव क्यों।
प्राप्त सूचना के अनुसार विकासखंड दशोली के बछेर गांव की मीना देवी (30) पत्नी प्रदीप सिंह को शनिवार को प्रसव पीड़ा के दौरान जिला अस्पताल लाया गया था। अस्पताल में चिकित्सकाें ने रात को ही प्रसव की तैयारियां शुरू कर दी थी पर महिला हाई बीपी होने के चलते प्रसव के दौरान महिला की मौत हो गयी । महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. अमृता ने बताया कि तड़के करीब साढ़े तीन बजे मीना देवी का प्रसव के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ गया था और उसे दौरे पड़ने लगे। बीपी कंट्रोल नहीं हो पा रहा था।
प्रसव होने के करीब आधा घंटे बाद मीना देवी की मौत हो गई थी।महिला को बचाने डॉक्टरों द्वारा बहुत प्रयास किये गए, लेकिन बचाया नहीं जा सका। मौके पर पहुंचे सीएमओ डॉ. अभिषेक गुप्ता और डीएसपी अमित सैनी ने लोगों को मामले की जांच करने का आश्वासन दिया। साथ ही पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी करने का आश्वासन दिया। जिसके बाद लोग शांत हुए।
यह समस्या तबतक चलती रहेगी जबतक पहाड़ों में अस्पताल ही अपने इलाज को तड़फना बंद न कर दें। क्योंकि चारधाम यात्रा में श्री बद्रीनाथ धाम चमोली जनपद में और श्री केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग में है जिसमें देश विदेश के लोग आतें हैं तो इन स्थानों पर यात्रा के नाम पर ही सही अस्पतालों का उच्चीकरण और स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम को नियुक्त किया जाए तो चमोली से क्यों 150 किलोमीटर दूर दूर श्रीनगर जाएगा आदमी इलाज के लिए। जो सक्षम हैं वो पलायन कर रहे और आम आदमी यही रहकर आसमान ताकने को मजबूर है।