सरकार शिक्षा सुगम बनाने के लिए बच्चो की जिंदगी लगा रही दावँ पर

उत्तराखण्ड में उत्कृष्ट विद्यालय,
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 हिमालय की आवाज/न्यूज पोर्टल।

सरकार शिक्षा सुगम बनाने के लिए बच्चो की जिंदगी लगा रही दावँ पर।

उत्कृष्ठ विद्यालयों में स्कूलों के समायोजन की योजना के चलते कहीं घरों में कैद न हो जाएं बच्चे।

राजकीय उच्च प्राथमिक विधालय बैनोली को, उत्कृष्ट रा उ प्राथमिक विधालय तुनेटा मे सम्मिलित करने प्रबंधक समिति व अविभावको ने किया पुरजोर विरोध।


3 किलोमीटर जंगली रास्ते वह भी सबसे ज्यादा गुलदार  व जंगली जानवरों के रिहायशी क्षेत्र से कैसे करेंगे सफर बच्चे।

जखोली- विकासखंड जखोली के अन्तर्गत ग्राम पंचायत बैनोली मे स्थित रा प्रा विद्यालय को लेकर विद्यालय प्रबंधन समिति व ग्राम पंचायत की एक आम बैठक आहूत की गयी। बैठक मे उपस्थित अविभावको के द्वारा बताया गया कि विद्यालय मे अध्यनरत छात्र/छात्राओं ने बताया कि रा उच्च प्रा विद्यालय बैनोली को शिक्षा विभाग के आदेशानुसार उत्कृष्ट विद्यालय रा उ प्रा विद्यालय तूनेटा मे सम्मिलित किया जा रहा है। यह सब सुनकर रा उ‌ प्रा वि बैनोली के विद्यालय प्रबंधन समिति सहित समस्त अविभावको ने   इसका घोर विरोध किया।


अविभावको का कहना है‌ कि हमने अपनी भूमि को विद्यालय के निर्माण ‌हेतू निशुल्क दान इसलिए ‌नही की कि सरकार हमारे विद्यालय ‌को बिना अविभावको की अनुमति ‌के लिए अन्य किसी स्कूल मे सम्मिलित करे।

हमने जो भी विद्यालय खुलवाया ‌है वो‌ अपने बच्चों की सुविधाओं के लिए खुलवाया है न कि बच्चों को परेशानी मे डालने के लिए।

 अविभावको का ये भी कहना है की उत्कृष्ट विद्यालय की बात‌ हम स्वीकारते है लेकिन हमारा विरोध ये है कि हमारे बच्चों को बैनोली से और तुनेटा लगभग 3 किलोमीटर जंगल से गुजर कर जाना पड़ता है, दूसरी बात ये भी है कि हम अपने शिक्षण संस्थान को किसी भी हालत मे बंद नही होने देगे। उन्होने राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बैनोली को‌ उत्कृष्ट विद्यालय ‌तुनेटा मे सम्मिलित करने से समन्धित असहमति पत्र मुख्य शिक्षा अधिकारी को‌ भेजा।

पत्र मे बैनोली रा उ प्रा वि बैनोली के प्रबंधक समिति की अध्यक्ष रंजना देवी,भगवती प्रसाद, राधाकृष्ण,शिव प्रसाद, जगदीश प्रसाद, नीलम,  शशी, श्री कृष्ण नौटियाल सहित 18 लोगो के हस्ताक्षर मौजूद ‌हैं।

ऐसे फरमान जारी करना कहीं न कहीं प्राथमिक कक्षा के बच्चों  की मानसिक स्थिति भयमुक्त हो पाएगी जब वो जंगली रास्तों पर चलेंगे। ऐसे प्रयोग ही सरकारी स्कूलों पर ताले लगवाने के लिए कारगर उपाय साबित हुए।

निजी विद्यालयों  में बच्चों को अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए या अपनी खुशी से सरकारी स्कूलों में अपने पाल्यों का दाखिला करवाने वाले अभिभावक क्या पलायन करने को मजबूर नही होंगे।

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