LUCC ठगी पीड़ितों का श्रीनगर में 30 वें दिन सड़क पर प्रदर्शन।
मुख्यमंत्री को ज्ञापन देना चाहते थे प्रदर्शनकारी पर ज्ञापन लेने नही पहुंचे मुख्यमंत्री।
LUCC एक ऐसी कम्पनी जिसने निवेशकों का पैसा लेकर फरार हो गयी और सबसे बड़ी बात यह कि कम्पनी के द्वारा स्वयं को कृषि मंत्रालय भारत सरकार से रजिस्ट्रेशन लिया हुआ है। आखिर निवेशकों ने कम्पनी पर विश्वास तब किया जब प्रमाणपत्र भारत सरकार द्वारा कम्पनी को निर्गत किये गए थे। इसी आधार पर निवेशकों ने विश्वास करके इस सोसायटी में अपना धन जमा किया।
निवेशकों का कहना है कि जब सरकार द्वारा LUCC कम्पनी को रजिस्टर्ड किया गया था तो सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि उसके यहां रजिस्टर्ड सोसायटी के द्वारा गबन किया गया निवेशकों की धनराशि को वापस करने के लिये कदम उठाए।
तंत्र की नाकामयाबी कहें या खुफिया तंत्र की आंखों में धूल झोंकने जैसे कार्य मे लगी रही LUCC कम्पनी जिसे सागा ग्रुप के द्वारा संचालित किया जा रहा था इतनी ब्रांच होने के बाद भी किसी की भी नजर इनपर क्यो नही पड़ी।
माह अक्टूबर 2024 से निवेशकों का पैसा न लेने और मार्च 2024 तक हुई मैच्यूरिटी को टालमटोल करते हुए भी न देना करते हुए अक्टूबर 2024 को निवेशकों से धनराशि को भी लेना बंद कर दिया था जिसे सिस्टम में आ रही परेशानियों का नाम दिया गया।
इसी कारण LUCC के द्वारा ठगी पीड़ितों ने श्रीनगर पौड़ी बस अड्डे पर आज मुख्यमंत्री के द्वारा स्वयं ठगी पीड़ितों को मिलने की बात कहकर धरनास्थल तक न पहुंचने के कारण प्रदर्शनकारियों मे आक्रोश बन गया। जिससे आक्रोशित भीड़ ने आज धरना प्रर्दशन के 30वें दिन सांकेतिक चक्काजाम श्रीनगर के पौड़ी बस अड्डे के सामने किया।
ठगी पीड़ितों का कहना है कि LUCC ने इतने लंबे समय तक यहां ठगी की गई क्या सरकारी तंत्र का दायित्व नही था कार्यरत होते समय जांच की जाए क्योंकि इससे पहले कई बार इस तरह की धोखाधड़ी हो चुकी हैं।
यह प्रदर्शन लगातार बढ़ रहा है क्योंकि जमा पूंजी को ज्यादा पाने के चक्कर मे LUCC में जमा करके आज दर दर की ठोकर खाने को मजबूर बन गए। सरस्वती देवी, प्रीति, उर्मिला पंवार, सुमन, परमेश्वरी, सुरजी देवी, बीना रावत, निशा ओर प्रीति को धरनास्थल से पुलिस द्वारा वाहनों में बिठाकर थोड़ी देर बाद छोड़ दिया गया।