रेस्टोरेशन ऑफ़ डिग्रीडेड फारेस्ट (RDF) योजना के तहत रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के द्वारा आजीविका संवर्धन हेतु अच्छी पहल।
दरमोला गावं में 3 दिवसीय मधुमक्खी पालन कार्यशाला का आयोजन। वन उपज से आजीवका संर्वधन के प्रयोग को प्रशिक्षणार्थी दिखा रहे रूचि।
रेस्टोरेशन ऑफ़ डिग्रीडेड फारेस्ट (RDF) योजना के तहत रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के दक्षिणी जखोली रेंज में दरमोला गावं के किसानों को मधुमक्खी पालन का तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन तीन दिवसीय 15 मार्च से 17 मार्च 2025 तक किया गया। विषय विशेषज्ञों ने कहा कि मधुमक्खी पालन से महिलाएं, युवा, भूमिहीन किसान और बुजुर्ग भी अपनी आर्थिकी सुधार सकते हैं। विशेषज्ञों ने किसानों को रानी मधुमक्खी के उत्पादन की तकनीक भी बताई। मधुमक्खी के बक्से स्थानांतरित कर फूलों के रसों का मधुमक्खियों के माध्यम से शहद में परिवर्तन कर उनके उपयोग के बारे में बताया। विशेषज्ञों ने किसानों को कृषि, बागवानी और वानिकी में मधुमक्खी का महत्व बताया। कहा कि, मधुमक्खी परागण की क्रिया के चलते बागवानी, कृषि व वानिकी की वनस्पतिक वृद्धि बढ़ती है और फूल बनने पर मधुमक्खी उसका रस चूसकर शहद का निर्माण करती है। विशेषज्ञों ने कहा कि मधुमक्खी पालन कृषि आधारित उद्योग है, जिसको महिलाएं, युवा, भूमीहीन किसान और बुजुर्ग भी कर सकतें हैं। प्रशिक्षकों ने मधुमक्खियों को प्रभावित करने वाले रोग, कीटनाशक व अन्य शत्रुओं की भी जानकारी दी। उच्च गुणवत्ता के शहद उत्पादन और अन्य बहुमूल्य उत्पाद जैसे पराग और रायल जैली उत्पादन के लिए प्रशिक्षित किया।
प्रधानमंत्री मोदी भी "मन की बात" कार्यक्रम में मधुमक्खी पालन की सराहना कर चुके हैं जो की रोजगार अपार संभावनाओं वाला कार्यक्रम है। क्योंकि किसान छोटा हो या बड़ा मधुमक्खी पालन कार्य सभी कर सकते हैं इससे आर्थिक स्थिति सुधरने के साथ साथ अपने घरेलू उपयोग हेतु हर परिवार द्वारा उपयोग किया जाता है तो इसका बाजार भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
उप प्रभागीय वनाधिकारी जखोली उप वन प्रभागीय अधिकारी डॉ. दिवाकर पन्त ने बताया कि उक्त कार्यशाला में ग्रामीणों को एपीस सेरेना मधुमक्खी प्रशिक्षण दिया गया। जो कि उत्तराखंड के वातावरण के अनुकुल है और बाजार में इसके शहद की बहुत डिमांड है। तीन दिवसीय प्रशिक्षण ले रहे ग्रामीणों द्वारा बताया गया की उक्त प्रशिक्षण से उनको आजीविका संवर्धन में मदद के साथ-साथ वन्य जीवों और जंगलों के संरक्षण हेतु भी के जानकारी दी गई। इसमें तकनीकी सहयोग ग्रीन हट ग्लोबल पहाड़ी संस्था द्वारा दिया गया। वन क्षेत्राधिकारी दक्षिणी जखोली हरीश थपलियाल ने बताया पूर्व में ज़वाडी के ग्रामीणों को रेस्टोरेशन ऑफ़ डिग्रीडेड फारेस्ट (RDF) योजना के तहत पिरूल, दाब घास, बांस, चीड़ के फल छिंती आदि वन उपजों से सजावटी सामाग्री निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया था ,इसी क्रम में दरमोला गावं में तीन दिवसीय वन उपज से आजीविका संवर्धन कार्यशाला आयोजित की गई है। प्रशिक्षण देने के साथ वन विभाग ग्रामीणों को शहद के लिए बाजार भी उपलब्ध करवाएगा। इस कार्यशाला श्रीमति कोमल पंवार, श्रीमति अमरादेवी , मीरान सिह कप्रवान, दिनेश सिंह पंवार, प्रमोदसिह कप्रवान, बुद्धिसिह आदि उपस्थित रहे।