केदारनाथ उपचुनाव में निर्दलीयों के चुनावी रण में आने से किस पार्टी को होगा फायदा।

केदारनाथ उपचुनाव में किस उम्मीदवार की जीत के हैं आसार,
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केदारनाथ उपचुनाव में निर्दलीयों के चुनावी रण में आने से किस पार्टी को होगा फायदा।

कांग्रेस, भाजपा ओर यूकेडी या निर्दलीय कोन होगा विजेता।

केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में इस बार का चुनावी संग्राम अपने अपने ढंग से राजनीति की बिसात बिछाने वाले प्रत्याशियों द्वारा रोचक बना लिया गया है। राजनीति के जानकार लोग इस बार इस चुनाव को लेकर विश्लेषण अपने तरीके से कर रहें हैं पर आखिर में निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन सिंह चौहान ओर पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) के प्रत्याशी के द्वारा चुनावी समर में आने से कहीं न कहीं वोट बैंक  बटने के आसार हैं जो कि किसी न किसी पार्टी के लिए विचारणीय प्रश्न हो सकता है।

केदारनाथ उपचुनाव की रणभेरी बजने से उम्मीदवारों के द्वारा अपने टिकट के लिए मुख्यालय तक भागदौड़ उसके बाद पार्टी से टिकट मिलने के बाद कुछ दिन तक मनमुटाव ओर मनाना बुझाने का काम संगठन द्वारा किया गया जिसमें सबसे अच्छी बात पार्टियों के लिए यह रही कि कोई भी नेता बागी होकर चुनावी मैदान मे खड़ा नही हुआ।

लेकिन इस बार निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन सिंह चौहान के द्वारा चुनावी समर में उतरने से केदारघाटी का चुनाव रोचक बन गया है। वही दूसरी तरफ पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) के उम्मीदवार जो पहले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी रहें है के द्वारा चुनाव लड़ने से कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक में स्पष्ट रूप से कमी का कारण बनेंगे।

केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा के जिस धड़े को अलग मानकर राजीनीतिक समझ के लोग चुनाव में भाजपा के लिए मुशीबत बनने की बात कर रहे थे वेसे कुछ भी संगठन की मजबूत पकड़ कार्यकर्ताओं में होने और कार्यकर्ताओं के द्वारा भाजपा प्रत्याशी के लिए खुलेमन से प्रचार करने से कहीं न कहीं भाजपा के लिए सकारात्मक है।

दूसरी तरफ कांग्रेस के संगठन का विस्तार बहुत कम होने से कहीं न कहीं चुनाव प्रचार में ओर आम मतदाता तक अपनी बात पहुंचाने के लिए कहीं न कहीं संगठन के आकार का कम होने से चुनाव में प्रभाव पड़ेगा।

निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन सिंह चौहान के द्वारा जन मुद्दे उठाए गए हैं लेकिन यह जन मुद्दे मतदाताओं के दिलो दिमाग में कितना असर करते हैं यह मतदान के दिन तय होगा।

यूकेडी के द्वारा केदारनाथ चुनाव में अच्छा प्रत्याशी इस चुनाव में उतारा गया है जो कि जन भावनाओं के मुद्दे उठाकर अच्छा प्रयास कर रहे हैं पर यूकेडी की अंदुरुनी लड़ाई सड़क पर आने से बहुत बड़ा नुकसान यूकेडी को हुआ है । यूकेडी का ग्राफ जिस हिसाब से उत्तराखण्ड में अपने चरम पर था और सबसे अच्छा मजबूत क्षेत्रीय दल बन गया था जिसे आज हाशिये पर खड़ा होना पड़ा है क्या कारण है इसके। इसका समाधान तभी सम्भव है जब कुछ मठाधीस आम जनता के सामने आए और अपनी गलतियां स्वीकार करें।



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