कोठियाड़ा गावँ में 66 वर्षीय ग्रामीण को बन्दर ने किया झपट्टा मारकर घायल

बंदरो के आतंक से परेसान ग्रामीण,
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हिमालय की आवाज।

आखिर कब मिलेगी बन्दरों के आतंक से जखोली क्षेत्र के ग्रामीणों को निजात।

कोठियाड़ा गावँ में 66 वर्षीय ग्रामीण को बन्दर ने किया झपट्टा मारकर घायल।


108 एम्बुलेंस से समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जखोली में किया गया उपचार। 

विकासखंड जखोली मे छाया है बंदरों का भारी आंतक। घरों में दरवाजा बंद करके भोजन बनाने को मजबूर है ग्रामीण। बन्दरो का आतंक इतना है कि खेती बंजर व नकदी फसलों के साथ दलहन ओर तिलहन की फसलों से किसानों ने की तोबा। वन विभाग रुद्रप्रयाग द्वारा बन्दर पकड़ने का कार्यक्रम किया गया था। यहां के अधिकतर बन्दरों को हटाया गया पर अब जो बन्दर यहाँ पर हैं यह पहाड़ी क्षेत्रों के बन्दर नही हैं ये बाजार क्षेत्रों के बन्दर हैं जो महिलाओं और बच्चों को देखकर काटने को दौड़ रहे। जखोली क्षेत्र में रात व दिन को बाघ, भालू ओर बंदरों आदि के खोफ में जीने को मजबूर हैं ग्रामीण।

आज कोठियाड़ा गांव मे बंदर ने एक 66 वर्षीय व्यक्ति पर हमला कर बुरी तरह से जख्मी कर दिया, जिन्हें उपचार हेतू जखोली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया।

विकासखंड जखोली के लोग कभी गुलदार के आंतक से तो कभी भालू के और कभी बंदरो के आतंक के साये में जीने को मजबूर हैं कारण कुछ भी हो पर जंगली जानवरों का आतंक अत्यधिक हो गया है। इस गम्भीर होती जा रही समस्या से होने वाले दुष्प्रभावों से इनकार नही किया जा सकता। महिलाएं व बच्चों के लिये खतरा बने बन्दर हर दिन कहीं न कहीं घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं जो कि पहाड़ के हित के लिए किसी भी दशा में अच्छी बात नही है। 

  पलायन का कारण ओर पहाड़ी क्षेत्र का किसान खेती से विमुख होकर गावँ के गावँ भुतहा होते हुए देखने के बाद भी सरकारों ने आंख बंद कर रखी हैं तो जब सभी गाँव भुतहा हो जाएंगे तो यही जंगली जानवर चुनेगे सरकारों को फिर यह कहते ग्रामीण अक्सर सुनाई देते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कोठियाड़ा गांव के लिए रहने वाले 66 बर्षीय ललिता प्रसाद कोठारी को आज दिन में बन्दर द्वारा बूरी तरह से जख्मी किया गया, ग्रामीणों की सहायता से आननफानन एम्बुलेंस द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जखोली ले जाया गया जहाँ उपचार के बाद ललिता प्रसाद कोठारी को  चिकित्सक द्वारा अपने घर भेजा गया। ये ग्रामीण क्षेत्र मे बंदरों के काटने की कोई पहली घटना नही है। हर रोज किसी न किसी व्यक्ति को बंदर के काटने की सूचना मिलती रहती है।

जखोली मे बंदरो की तादाद अत्यधिक मात्रा मे होने के कारण गाँवो मे बंदरों ने लोगो का जीना हराम कर रखा है।  यहाँ तक की बंदर खुले आम लोगो के घरो मे घुसकर हमला कर रहे है। आखिर सवाल ये है कि इतने ब़ंदर कहाँ से आ रहे हर दिन बंदरों की संख्या मे इजाफा हो रहा। वन विभाग भी बंदरों को पकडऩे में कोई ठोस कार्यवाही करता नजर नही आ रहा, अगर बंदरो के पकड़ने की कार्यवाही कर भी रहे हैं तो फिर उतनी संख्या में बन्दरो को छोड़ा जाने का नियम ग्रामीणों को भारी पड़ रहा है। आखिर जखोली के लोगो को बंदरो से निजात कब मिलेगी।

जन सहभागिता से बन्दरों को भगाने की बात सही है पर वर्तमान में जीवन जीने के लिए किए जा रहे संघर्ष के कारण आम आदमी को इतनी फुर्सत नही है कि वह दिनभर बन्दरों आदि जंगली जानवरों को भगाने में लगा रहे इसका कारण यह भी है कि खेती की उत्पादकता कम होना भी बड़ा कारण है जिससे किसान खेती से विमुख होता जा रहा है। खेती किसानी के साथ अन्य काश्तकारी कम होने के कारण जो नुकसान जंगली जानवर पहुंचा रहे उसके प्रति ध्यान नही दिया जा रहा।

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