समूह की महिलाओं ने तैयार की पिरुल से राखियां व सजावटी सामग्री

पिरुल से राखियां व सजावटी सामग्री, सिंगोली भटवाड़ी केट प्लान,
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 जनपद रुद्रप्रयाग के विकासखंड जखोली से समूह की महिलाओं ने तैयार की पिरुल से राखियां व सजावटी सामग्री।

सिंगोली भटवाड़ी कैट प्लान के तहत आजीविका संवर्धन कार्यक्रम के तहत रूद्रप्रयाग वन प्रभाग के द्वारा महिलाओं को दिया गया प्रशिक्षण।


अब नही बनेगा चीड़ पहाड़ के लिए अभिशाप रुद्रप्रयाग वन प्रभाग की अनूठी पहल।







चीड़ के पत्ते जिसे पिरुल के नाम से जाना जाता है को अभीतक जंगलों में लगभग प्रति वर्ष होने वाली आग की घटनाओं के लिए ईंधन के रूप में देखा जाता रहा है। जिसका उपयोग नाममात्र का पशुओं की बिछावन के रूप में पहाड़ों में होता है जिससे कि बहुत कम उपयोग होने के कारण पिरुल की पत्तियों के कारण जंगलों में दावाग्नि की घटनाएं बहुत ज्यादा मात्रा में होती रहती हैं जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण को कितना नुकसान हो जाता है यह आंकना मुश्किल होता है।

पिरुल की पत्तियों से वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए तमाम प्रयास किये जा रहे हैं जिसके तहत जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग के दिशानिर्देश पर वन विभाग रुद्रप्रयाग के उप वन संरक्षक श्री अभिमन्यु के कुशल नेतृत्व में सिंगोली भटवाड़ी कैट प्लान के तहत आज लस्तर हिलाई फार्मर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड के कार्यालय तिमली डोबलिया में पिरुल की पत्तियों को रोजगार के साधन जैसे सजावटी समाग्री, राखियां बनाने का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।


इस कार्यक्रम में 58 महिलाओं ने प्रतिभाग किया और पिरुल की पत्तियों से सजावटी सामग्री और राखियां बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। 

सर्व प्रथम कार्यक्रम की शुरुवात ईश प्रार्थना से हुई तत्पश्चात कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वन दरोगा श्री अनूप सिंह ने चीड़ की पत्तियों से जंगल को हो रहे नुकसान ओर हमारी सहभागिता अपने जंगलों के प्रति क्या है पर विस्तार से बताया और पहाड़ में रोजगार का साधन यही पर आसानी से मिलने वाले कच्चे माल से तैयार सामग्री जिसमें पिरुल मुख्यतः है को रोजगार का साधन कैसे बनाया जाय के बारे में बताया।

समूह से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षण देते समय मास्टर ट्रेनर श्रीमती इंदु नोटियाल ने बताया कि किसी भी कार्य को सीखने की कोई उम्र नही होती और अपने भीतर छुपी हुई कला को हम कैसे प्रदर्शित करें इसके लिए हमने अपने हुनर ओर लगन को एक साथ सामंजस्य बनाकर ऐसे कार्य करने हैं जिससे कि साथ कि महिलाओं के लिए भी स्वावलम्बन की मिशाल बन सकें। पहाड़ में महिलाओं को रोजगार के साधन नही मिलते हैं पर आज वह समय नही है जब ये बोला जाता था आज पहाड़ में महिलाएँ नए कृतिमान स्थापित कर रही हैं जिसमें की केंद्र सरकार व राज्य सरकार महिलाओं के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं चाहे वह प्रशिक्षण हो या स्वरोजगार के लिए वित्तीय साधन हमें तय करना है कि हम ऐसे क्या कर सकतें हैं जो अलग उत्पाद हो और बाजार में हाथों हाथ बिक जाए।

पिरुल पतियों से प्रशिक्षण लेकर महिलाओं से इस बारे में बात करने से महिलाओं में उत्साह था और इसे अच्छे रोजगार का साधन बनाने के लिए दुबारा प्रशिक्षण दिलाने की बात कही जिससे कि कुशलतापूर्वक पिरुल उत्पाद को बाजार में उतारा जा सके।

इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर श्रीमती इंदु नोटियाल, मास्टर ट्रेनर श्रीमती हेमवंती मैठाणी, मास्टर ट्रेनर श्रीमती नीलम भट्ट, रिप परियोजना से ग्रुप मोबलाइजर श्रीमती सरोजनी देवी, एरिया कॉर्डिनेटर श्रीमती आशा भंडारी व  वन विभाग रुद्रप्रयाग से वन दरोगा श्री अनूप सिंह, राजेन्द्र रावत की उपस्थिति रही।

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