चौलाई मे कीड़ा लगने से काश्तकारों की सारी फसल चौपट

चौलाई/रामदाना की फसल में कीड़ा लगना,
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   रामरतन सिह पवांर/गढ़वाल ब्यूरो

चौलाई मे कीड़ा लगने से काश्तकारों की सारी फसल चौपट।

अगर समय पर काश्तकारों को कृषि ओर उद्यान विभाग द्वारा जानकारी व कीटनाशक दवा दी जाती तो कीड़ा लगने से बच सकती थी फसल।



विभाग द्वारा गाँवो मे कलस्टर भी बनाये गये, काश्तकारों को फसलो मे लगने वाले रोगो की जानकारी देने के लिए कृषि रथ को सड़कों पर घुमाने तक सिमित है विभागीय जानकारी।

जखोली-विकासखंड जखोली के अन्तर्गत ग्राम पंचायत त्यूँखर सहित दर्जनों गाँवो मे चौलाई की फसल चौपट हो चुकी है,चौलाई पर कीड़ा लग जाने से चौलाई से अपनी आजिविका को चलाने वाले परिवारो के सामने भारी संकट पैदा हो गया है।

ज्ञात हो कि जखोली क्षेत्रान्तर्गत दर्जनो गाँवो मे अधिकतर परिवारो की रोजी रोटी का एक मात्र साधन चौलाई ,आलू,राजमा जैसे नगदी फसल थी, लेकिन  आलम यह है कि आज गरीब काश्तकारों को भी के भाग्य मे ये भी नही है।चौलाई मे कीड़ा लगने का मुख्य कारण अधिक मात्रा मे बारीश का होना भी प्रतीत होता है। 

   सवाल इस बात का भी है जबसे रुद्रप्रयाग जैविक जिला घोषित हुआ है तब से सीमान्त कृषकों को ना तो सही ढ़ग से जैविक खाद मिल पायी है नाही कोई कीट नाशक दवा मिल पायी है जिससे कि काश्तकार अपने फसलो मे लगने वाले कीड़ों को मारने मे प्रयोग कर सके, जबकि ये सारा काम कृषि विभाग और उद्यान विभाग का था लेकिन जनपद रुद्रप्रयाग के ये दोनो विभाग निष्क्रिय बैठे हुए है।

कृर्षि व उद्यान विभाग मेखेती से संमन्धित काश्तकारों के लिए भरपूर संसाधन होने चहिये थे जिससे कि उनको इनका भरपूर लाभ मिल सके।

काश्तकार महावीर सिह राणा गंभीर सिह पवांर, बलवीर सिह पवांर, रघुबीर सिह कैन्तूरा, काश्तकार हयात सिह राणा आदि ने कहा कि जखोली मे उद्यान व कृर्षि विभाग मे द्वारा बुढ़ना, त्यूँखर, बजीरा, पालाकुराली,सहित दर्जनों गाँवो मे बोरवेली व कलस्टरो का भी चयन किया है 

इसके बावजूद भी कृषि व उद्यान विभाग द्वारा काश्तकारों को फसलो लगने वाले कीड़ो व कीटनाशक दवाइयों के बारे मे कोई जानकारी नही दी जाती है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा ये सारी जानकारी गाँवो मे जाकर काश्तकारों को देनी चहिए थी ।

लेकिन विभाग केवल सड़को तक ही कृर्षि रथ घुमाने तक सिमित है। अगर विभाग समय पर काश्तकारों को ये सब जानकारी व कीटनाशक दवा उपलब्ध करवाते तो आज चौलाई की फसल को कीड़े लगने से बचाया जा सकता था, काश्तकारों ने शासन प्रशासन से अपनी बरबाद हुई चौलाई की फसल का मौका मुयाना कर उचित मुआवजा देने की माँग की।

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