बहुचर्चित स्टिंग प्रकरण में दो नेताओं क़ो आज सीबीआई की ओर लगा झटका

बहुचर्चित स्टिंग प्रकरण में दो नेताओं क़ो आज सीबीआई की ओर लगा झटका। उत्तराखण्ड की राजनीति में भूचाल लाने वाले स्टिंग पर सुनवाई।
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 बहुचर्चित स्टिंग प्रकरण में दो नेताओं क़ो आज सीबीआई की ओर लगा झटका।

उत्तराखण्ड की राजनीति में भूचाल लाने वाले स्टिंग पर सुनवाई।

 दोनों नेताओं के वॉइस सेम्पल हेतु नोटिस। इस प्रकरण पर आम जन की नजर जिसके फैसले पर भविष्य निर्धारण होगा नेताओं का।

देहरादून। उत्तराखंड के बहुचर्चित सरकार बचाने के लिए की गई कथित कोशिस का स्टिंग प्रकरण को लेकर आज सोमवार को सीबीआई कोर्ट ने सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को वॉयस सैंपल देने का फैसला सुनाया। इसके लिए उन्हें नोटिस जारी कर दिए गए हैं। इस प्रकरण ने उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया था और आरोप प्रत्यारोपों के बीच सफाई देने का क्रम भी चला था जिससे कि कई सवाल उठ खड़े हुए थे और आम जन इस प्रकरण की जांच हो कि उम्मीद लगाए बैठा था जो कि आज सुनवाई के दौरान उम्मीद बंधी है कि फैसला होगा आखिर सच क्या था।

वर्ष 2016 में हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए उनका एक स्टिंग हुआ था इस स्टिंग करने का दावा उमेश कुमार ने किया था। इसके बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया था। इसी दौरान एक और स्टिंग सामने आया था, इसमें विधायक मदन सिंह बिष्ट के होने का दावा किया गया। इसमें डॉ. हरक सिंह रावत के भी शामिल होने का दावा किया गया था। दोनों ही स्टिंग के बारे में उमेश कुमार ने दावा किया था कि हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद- फरोख्त की डीलिंग की जा रही थी। इस खरीद फरोख्त की बात मीडिया में सामने आने पर किस तरह से चुनाव परिणाम आये थे यह सब जानते हैं। तब सवाल था कि क्या सत्ता खरीदी जा सकती है और किसके पैसे से खरीदी गई। जिनके घर कल तक मामूली थे उनके ठाठ बाठ राजसी हो गए हैं कैसे हुए यह सवाल आम जन के मन मे उठे तो इसकी जांच होने की उम्मीद ने अब फैसले आने तक इस प्रकरण पर नजर जमाएँ हुए हैं।

इस प्रकरण में रुपयों के लेन-देन होने की बात का दावा भी स्टिंग प्रसारण के दौरान किया गया था। बाद में इस पूरे मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी। स्टिंग में जो आवाजें हैं उनके मिलान के लिए इन चारों ही नेताओं के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति सीबीआई ने अदालत से मांगी थी। अब देखना यह है कि जांच एजेंसी के द्वारा किस तरह से साक्ष्य जुटाए जातें हैं और मामले पर अदालत क्या फैसला सुनाती है।

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