श्री बद्री केदार मंदिर समिति के द्वारा विज्ञप्ति निकालने के बाद भी नही हुई वेदपाठियों की नियुक्ति

श्री बद्री केदार मंदिर समिति द्वारा क्यों नही की गई वेदपाठियों की नियुक्ति,विश्वविख्यात श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने को कुछ ही दिन शेष तो बड़ा सवाल
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 बड़ा सवाल- श्री बद्री केदार मंदिर समिति द्वारा क्यों नही की गई वेदपाठियों की नियुक्ति।

 क्या मन्दिर की व्यवस्थाओं में वेदपाठी की नियुक्ति प्राथमिकता नही थी।
श्री बद्री केदार मंदिर समिति के द्वारा विज्ञप्ति निकालने के बाद भी नही हुई वेदपाठी।
आखिर क्यों नही जा रही वेदपाठियों की नियुक्ति।
विश्वविख्यात श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने को कुछ ही दिन शेष तो बड़ा सवाल उठता है कि मंदिर समिति के संचालनकर्ताओं की नजर अपनी ही निकाली विज्ञप्ति पर क्यों नही पड़ी। आखिर कैसे सम्पादित होगा कार्यक्रम यह विचारणीय विषय है।

इस बार की यात्रा से पूर्व भी मन्दिर समिति ने वेदपाठियों की नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी किया था जिसमें की अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन किये गए पर उससे आगे की प्रक्रिया का क्या हुआ यह जबाब मन्दिर समिति को देना होगा क्या तकनीकी समस्या हुई या अन्य कोई कारण रहा।

बद्री केदार मन्दिर समिति धर्मस्व विभाग के अधीन है जिसमें मन्दिर समिति के अधीन आने वाले मन्दिरों की व्यवस्थाएं बनाना  ओर रखरखाव करना मन्दिर समिति का कार्य है।

                           

 प्रदेश सरकार द्वारा श्री बदरीनाथ तथा श्री केदारनाथ मंदिर अधिनियम 1939 के तहत श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बी०के०टी०सी०) का गठन किया गया। भगवान शिव को समर्पित श्री केदारनाथ मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से ग्यारहवां है, वहीं श्री बदरीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। दोनों मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल डिवीजन में हिमालय में उच्च ऊंचाई पर स्थित हैं और माना जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था।






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